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पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा: तुर्की के लिए एक बड़ा संदेश

प्रधानमंत्री मोदी की आगामी साइप्रस यात्रा तुर्की के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह यात्रा तुर्की और साइप्रस के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को और भी जटिल बना सकती है। पीएम मोदी कनाडा में G-7 सम्मेलन में भाग लेने से पहले साइप्रस जाएंगे, जो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के लिए चिंता का विषय है। जानें इस यात्रा के पीछे के कारण और साइप्रस-तुर्की संबंधों के बारे में अधिक जानकारी।
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पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा: तुर्की के लिए एक बड़ा संदेश

पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा

पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को सहायता देने में तुर्की सबसे आगे था। उसने न केवल पाकिस्तान का समर्थन किया, बल्कि वहां की सेना को ड्रोन और मिसाइलें भी प्रदान कीं।

इस घटना के बाद से भारत ने तुर्की के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। देश में चल रहे विभिन्न परियोजनाओं में तुर्की की कंपनियों के साथ किए गए समझौतों को रद्द किया जा रहा है। अब पीएम मोदी तुर्की के कट्टर प्रतिद्वंद्वी साइप्रस की यात्रा करने वाले हैं।

पीएम मोदी 15 से 17 जून तक कनाडा में होने वाले G-7 सम्मेलन में भाग लेंगे, लेकिन उससे पहले वह साइप्रस जाएंगे और लौटते समय क्रोएशिया भी जाएंगे।


साइप्रस और तुर्की के बीच का विवाद

साइप्रस और तुर्की के बीच दुश्मनी

साइप्रस और तुर्की के बीच दुश्मनी 1974 से चल रही है। पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पीएम मोदी कनाडा से पहले साइप्रस क्यों जा रहे हैं।

तुर्की और साइप्रस के बीच का विवाद कई दशकों पुराना है। साइप्रस एक भूमध्यसागरीय द्वीप है, जो तुर्की के दक्षिण, सीरिया के पश्चिम और इसराइल के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यहां तुर्की और ग्रीक समुदाय रहते हैं, जिनके बीच नस्लीय विवाद है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 1974 में ग्रीक विद्रोहियों ने तख्तापलट किया और तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण किया।


साइप्रस का विभाजन

दो हिस्सों में बटा साइप्रस

इस घटना के बाद साइप्रस दो भागों में बंट गया, जिसमें एक भाग पर ग्रीक साइप्रस सरकार और दूसरे पर तुर्की साइप्रस का नियंत्रण है। ग्रीक साइप्रस सरकार द्वारा शासित साइप्रस गणराज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, जबकि तुर्की साइप्रस ने अपने क्षेत्र को स्वघोषित राष्ट्र का दर्जा दिया है, जिसे केवल तुर्की ही मान्यता देता है। तुर्की ने साइप्रस के प्रसिद्ध शहर वरोशा पर भी कब्जा कर लिया है, जहां अब 35,000 तुर्की सैनिक तैनात हैं।


पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा का महत्व

साइप्रस क्यों जा रहे पीएम मोदी?

पीएम मोदी साइप्रस की यात्रा करने वाले भारत के तीसरे प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में और इंदिरा गांधी ने 1983 में यहां का दौरा किया था। साइप्रस और क्रोएशिया दोनों यूरोपीय संघ के सदस्य हैं और अगले वर्ष साइप्रस को छह महीने के लिए ईयू की अध्यक्षता मिल सकती है।

पिछले महीने पीएम मोदी को क्रोएशिया, नीदरलैंड और नॉर्वे का दौरा करना था, लेकिन पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण यह यात्रा स्थगित कर दी गई थी। इस वर्ष कनाडा जी-7 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है, जो 15 से 17 जून तक अल्बर्टा के कनानास्किस में आयोजित होगा, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे।