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पुणे में जमीन सौदे पर शरद पवार की प्रतिक्रिया, जांच की मांग

पुणे में एक विवादित जमीन सौदे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्थ पवार पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जमीन को बेहद कम कीमत पर खरीदा। एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने इस मामले की जांच की मांग की है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
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पुणे में जमीन सौदे पर शरद पवार की प्रतिक्रिया, जांच की मांग

पुणे में विवादित जमीन सौदा


पुणे: पुणे में एक जमीन सौदे को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। आरोप है कि पार्थ पवार, जो अजित पवार के बेटे हैं, ने सरकारी भूमि को बेहद कम कीमत पर खरीदा। एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए।


शरद पवार का बयान

शरद पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं इस मामले को गंभीर बताया है, इसलिए सरकार को सभी तथ्यों को सार्वजनिक करने के लिए जांच करानी चाहिए। विवाद तब शुरू हुआ जब यह जानकारी सामने आई कि पार्थ पवार और उनके सहयोगियों ने पुणे में 43 एकड़ भूमि केवल 300 करोड़ रुपये में खरीदी, जबकि इसकी बाजार मूल्य लगभग 1800 करोड़ रुपये है। यह भूमि 'वतनश्रेणी' की थी, जिसे बिना सरकारी अनुमति के बेचा नहीं जा सकता।


सौदे के दो दिन बाद ही स्टांप ड्यूटी माफ करने का आदेश जारी हुआ, और कंपनी ने केवल 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाई। इस पर विपक्षी दलों ने सरकार और अजित पवार पर निशाना साधा है। शरद पवार ने यह भी कहा कि उनके परिवार में राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन व्यक्तिगत रिश्तों पर इसका कोई असर नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि उनके पोते ने अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था, फिर भी परिवार में एकता बनी हुई है।


पार्थ पवार का नाम न होने पर विवाद

इस सौदे से संबंधित दो एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन पार्थ पवार का नाम इनमें नहीं है। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) ने इस पर सवाल उठाए हैं कि पार्थ का नाम क्यों छोड़ा गया। वहीं, अजित पवार के दूसरे भतीजे रोहित पवार, जो आमतौर पर सरकार की आलोचना करते हैं, इस बार चुप हैं। इस पर मंत्री शिरसाट ने सोशल मीडिया पर तंज करते हुए पूछा कि हमारा प्यारा तोता चुप क्यों है?


अजित पवार का स्पष्टीकरण

अजित पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर स्पष्ट किया कि पार्थ को यह जानकारी नहीं थी कि जमीन सरकारी है। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर न तो भुगतान हुआ और न ही कब्जा लिया गया, इसलिए सौदा अधूरा है। उन्होंने भरोसा जताया कि जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी।