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पुतिन ने नोबेल शांति पुरस्कार पर ट्रम्प की अनुपस्थिति पर जताई चिंता

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार देने के निर्णय पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना उनकी शांति के लिए की गई कोशिशों की सराहना की। पुतिन ने पुरस्कार की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई बार ऐसे व्यक्तियों को पुरस्कार दिया गया है जिन्होंने शांति के लिए कुछ नहीं किया। व्हाइट हाउस ने ट्रम्प के प्रयासों की पुष्टि की है, जबकि नोबेल समिति पर राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है।
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पुतिन ने नोबेल शांति पुरस्कार पर ट्रम्प की अनुपस्थिति पर जताई चिंता

पुतिन की प्रतिक्रिया

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार देने के नॉर्वेजियन समिति के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम नहीं लिया, जिन्होंने इस पुरस्कार के लिए जोरदार समर्थन किया था। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा के कुछ घंटे बाद, पुतिन ने कहा कि ट्रम्प ने शांति के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, विशेषकर मध्य पूर्व में, जहां हाल ही में इज़राइल और गाजा के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी थी।


पुरस्कार की प्रतिष्ठा पर सवाल

पुतिन ने यह भी कहा कि कई बार नोबेल समिति ने उन व्यक्तियों को पुरस्कार दिया है जिन्होंने शांति के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने पुरस्कार की प्रतिष्ठा को कम होते हुए बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि ट्रम्प इस पुरस्कार के लिए योग्य हैं या नहीं।


व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया

नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद, व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति शांति समझौते करने, युद्ध समाप्त करने और जीवन बचाने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। व्हाइट हाउस के संचार निदेशक ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ट्रम्प शांति के लिए प्रयास करते रहेंगे और उनका मानवतावादी दृष्टिकोण अद्वितीय है। हालांकि, उन्होंने नोबेल समिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने शांति के बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी है।


मारिया कोरिना मचाडो का योगदान

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को लोकतंत्र को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार ऐसे समय में दिया गया है जब कई देश अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहे हैं।