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पुष्पम प्रिया चौधरी: बिहार की राजनीति में बदलाव की नई आवाज

पुष्पम प्रिया चौधरी, जो बिहार की राजनीति में एक नई दिशा लाने का प्रयास कर रही हैं, 2025 के विधानसभा चुनाव में दरभंगा से प्रत्याशी होंगी। उन्होंने 'द प्लुरल्स पार्टी' की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास और समावेशन को बढ़ावा देना है। जानें उनके परिवार, शिक्षा और राजनीतिक सफर के बारे में, और कैसे वे बिहार की राजनीति में बदलाव लाने का संकल्प ले चुकी हैं।
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पुष्पम प्रिया चौधरी: बिहार की राजनीति में बदलाव की नई आवाज

पुष्पम प्रिया चौधरी का उदय

पुष्पम प्रिया चौधरी: बिहार की राजनीति में एक नई दिशा लाने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यूनाइटेड किंगडम से लौटने के बाद, 37 वर्षीय यह नेता राज्य की पारंपरिक जाति और धर्म आधारित राजनीति को चुनौती देने का दावा कर रही हैं। 'द प्लुरल्स पार्टी' की संस्थापक और अध्यक्ष, पुष्पम प्रिया 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में दरभंगा सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं और विकास केंद्रित राजनीति को आगे बढ़ाने का संकल्प ले चुकी हैं।


राजनीति में उनकी अनोखी पहचान

राजनीति में अनोखी पहचान


पुष्पम प्रिया ने 2020 के चुनाव में अचानक से राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने अपनी पार्टी की घोषणा के साथ-साथ खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया। उनकी पहचान काले कपड़े और मास्क पहनने की प्रतिज्ञा से बनी, जिसे उन्होंने सत्ता परिवर्तन का प्रतीक माना। उनका कहना है कि जब तक वे जनता का विश्वास जीतकर चुनाव नहीं जीततीं, तब तक वे मास्क नहीं उतारेंगी।


पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा

परिवार और शिक्षा


दरभंगा की निवासी पुष्पम प्रिया का परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय है। उनके पिता विनोद कुमार चौधरी जद(यू) के पूर्व विधायक हैं, और उनके दादा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे हैं। उनके चाचा विनय कुमार चौधरी वर्तमान में जद(यू) से बेनीपुर के विधायक हैं।


पुष्पम प्रिया का जन्म 13 जून 1987 को हुआ। उन्होंने दरभंगा में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर पुणे से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, वे उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन गईं, जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से डेवलपमेंट स्टडीज में मास्टर डिग्री और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से 2019 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया। राजनीति में आने से पहले, वे बिहार सरकार के पर्यटन और स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार के रूप में कार्यरत थीं।


पार्टी की स्थापना और उद्देश्य

'द प्लुरल्स पार्टी' की शुरुआत


8 मार्च 2020 को, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, पुष्पम प्रिया ने 'द प्लुरल्स पार्टी' की स्थापना की। उनका नारा था 'बिहार डिजर्व्स बेटर' (Bihar Deserves Better)। यह पार्टी जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास, समावेशन और योग्यता आधारित नेतृत्व को बढ़ावा देने का दावा करती है।


2020 के विधानसभा चुनाव में, पार्टी ने 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई थी, लेकिन समय की कमी के कारण केवल 148 उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतरे। खास बात यह रही कि सभी प्रत्याशियों ने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को केवल 'बिहारी' लिखा। उनका मानना है कि 'प्लुरल्स का अर्थ है सभी जातियों और धर्मों के लोग मिलकर शासन करें।'


2025 के चुनाव की तैयारी

2025 का लक्ष्य


अब 2025 के चुनाव में, 'द प्लुरल्स पार्टी' सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 50 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे। पार्टी का चुनाव चिन्ह 'सिटी' है, जो उनके शहरी विकास और आधुनिक बिहार की सोच को दर्शाता है। दरभंगा से पुनः चुनाव लड़ने वाली पुष्पम प्रिया ने कहा है कि राज्य में सशक्त विपक्ष और शिक्षित नेतृत्व की कमी लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।


वे अपने खुले विचारों के लिए भी जानी जाती हैं। उन्होंने अखिलेश यादव को राहुल गांधी से अधिक गंभीर नेता बताया, नीतीश कुमार को 'अब तक का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री' कहा, और प्रशांत किशोर को राजनीति में नहीं, रणनीति में बने रहने की सलाह दी। पुष्पम प्रिया चौधरी कहती हैं, 'मैं व्यवस्था में फिट होने नहीं आई हूं, मैं इसे बदलने आई हूं।'