पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन: एक राजनीतिक यात्रा

सत्यपाल मलिक का जीवन परिचय
सत्यपाल मलिक का निधन: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन मंगलवार को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में 79 वर्ष की आयु में हुआ। अपने अंतिम दिनों में, वे भाजपा के खिलाफ अपने विचारों को खुलकर व्यक्त कर रहे थे और कई गंभीर आरोप भी लगाए, जो चर्चा का विषय बने रहे।
राजनीति में कदम
छात्र राजनीति से शुरुआत:
सत्यपाल मलिक ने 1965 में मेरठ कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में कदम रखा। 1966-67 में उन्हें मेरठ कॉलेज का पहला छात्रसंघ अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद, उन्होंने 1974 में बागपत से विधानसभा चुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे। इसी दौरान, 1975 में लोकदल का गठन हुआ, जिसके बाद उन्हें अखिल भारतीय महामंत्री नियुक्त किया गया।
कांग्रेस में शामिल होना
1984 में कांग्रेस में शामिल:
सत्यपाल मलिक का विवाद लोकदल के कुछ नेताओं से हुआ, जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। 1984 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद, उन्हें 1986 में राज्यसभा भेजा गया और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री नियुक्त किया गया। हालांकि, बोफोर्स घोटाले के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर जनमोर्चा में शामिल हो गए।
भाजपा में शामिल होना
2004 में भाजपा में शामिल:
सत्यपाल मलिक 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2009 में उन्हें भाजपा किसान मोर्चा का अखिल भारतीय प्रभारी बनाया गया। 2014 में वे भाजपा के उपाध्यक्ष बने और चुनावी घोषणापत्र की उपसमिति में कृषि विषयक मुद्दों के अध्यक्ष रहे। 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया और बाद में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया।