पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान को हत्या के मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा

पूर्व विधायक का आत्मसमर्पण
उरई । बसपा के पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान ने उरई में दो भाइयों की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने उन्हें दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान कोर्ट के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ जमा हो गई, जिसके चलते पुलिस को भारी संख्या में तैनात किया गया।
हत्या का मामला
जानकारी के अनुसार, 30 मई 1994 को चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा बैध गांव में प्रधान के चुनाव को लेकर विवाद के चलते राजकुमार उर्फ राजा भैया और उनके भाई जगदीश शरण की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने छोटे सिंह चौहान को इस मामले में दोषी ठहराया। सजा सुनाने की तारीख 11 सितंबर तय की गई थी, लेकिन छोटे सिंह उस समय फरार थे।
राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप
राजनीतिक षड्यंत्र में फंसाया जा रहा
पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और उनका किसी भी प्रकार की हत्या में कोई हाथ नहीं है। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे 11 सितंबर को न्यायालय में उनके साथ उपस्थित रहें।
घटनाक्रम का विवरण
बिनौरा बैध गांव के राजकुमार और जगदीश के भाई रामकुमार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 30 मई 1994 को दोपहर 11:30 बजे वे अपने भाई और अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे, तभी गांव के कुछ लोग हथियारों के साथ वहां पहुंचे और फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में राजकुमार और जगदीश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया।
कोर्ट में शीघ्र सुनवाई का आदेश
पुलिस की जांच में छोटे सिंह चौहान का नाम भी शामिल किया गया था। 18 फरवरी 1995 को सभी आरोपियों के खिलाफ मामला जिला एवं सत्र न्यायालय में शुरू हुआ। छोटे सिंह चौहान 2007 में बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया था।