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पेरिस में मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखने की घटना से मुस्लिम समुदाय में आक्रोश

पेरिस में मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखने की घटना ने मुस्लिम समुदाय में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस सुनियोजित कदम को लेकर राष्ट्रपति मैक्रों और पेरिस की मेयर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आंतरिक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, एंटी-मुस्लिम घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिससे समाज में भय और बेचैनी का माहौल बन गया है। जानें इस पर नेताओं और समुदाय की प्रतिक्रियाएँ।
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पेरिस में मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखने की घटना से मुस्लिम समुदाय में आक्रोश

पेरिस में विवादास्पद घटना

पेरिस में मंगलवार को हुई एक घटना ने न केवल मुस्लिम समुदाय को बल्कि पूरे फ्रांस को हिला कर रख दिया है। मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखना एक सुनियोजित कार्रवाई मानी जा रही है, क्योंकि इस्लाम में सूअर का मांस हराम और अपवित्र समझा जाता है। इस मामले पर राष्ट्रपति मैक्रों और पेरिस की मेयर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे निंदनीय बताया है।


पुलिस की रिपोर्ट

पेरिस के पुलिस प्रमुख लॉरेंट नुनेज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि चार मस्जिदों के बाहर पेरिस में और उपनगरीय क्षेत्रों में पांच मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर पाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है कि अन्य स्थानों पर भी ऐसे सिर रखे गए हों। यह कदम मुस्लिम समुदाय को भड़काने और उनके खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास है।


इस्लामोफोबिया पर चिंता

फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मई 2025 के बीच देश में एंटी-मुस्लिम घटनाओं में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विशेष रूप से व्यक्तियों पर हमलों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। यूरोपीय संघ की रिपोर्ट भी बताती है कि गाजा युद्ध के बाद से यूरोप के कई देशों में मुस्लिम और यहूदी समुदायों के खिलाफ घृणा अपराधों में तेजी आई है।


नेताओं और समुदाय की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मुलाकात की और उन्हें अपना समर्थन दिया। पेरिस की मेयर ऐन हिडाल्गो ने कानूनी कार्रवाई शुरू की और इसे नस्लवादी हमला बताया। आंतरिक मंत्री ब्रूनो रिटायो ने कहा कि मुस्लिम नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार है और ऐसे कृत्य अस्वीकार्य हैं।


मुस्लिम समुदाय में नाराजगी

ग्रैंड मस्जिद ऑफ पेरिस के रेक्टर चेएम्स-एद्दीन हफीज ने इस घटना को 'इस्लामोफोबिया की एक नई और दुखद कड़ी' बताया। एंटी-डिस्क्रिमिनेशन ग्रुप 'अदाम' के प्रमुख बासिरू कामारा ने कहा कि प्रशासन की ओर से लगातार चेतावनियों के बावजूद कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर अभी सख्त कदम नहीं उठाए गए तो अगला कदम क्या होगा? मस्जिदों में नमाजियों पर हमला? इस घटना ने मुस्लिम समाज में गहरी बेचैनी और भय पैदा कर दिया है।