प्रधानमंत्री मोदी का लाल किले से संघ का गौरव गान: विपक्ष की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गौरव गान किया, जो विपक्षी दलों को पसंद नहीं आया। मोदी ने संघ के 100 वर्षों के संघर्ष की विजय गाथा को साझा किया, जिससे विपक्ष को असहज होना स्वाभाविक था। जो दल संघ की विचारधारा के खिलाफ राजनीतिक लाभ उठाते रहे हैं, उन्हें इस प्रकार की सराहना कैसे सहन होगी?
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने संघ के संघर्षों को भुलाने का प्रयास किया था। लेकिन अब, प्रधानमंत्री मोदी ने इस संगठन का गौरव गान किया है, जो दर्शाता है कि इसके पीछे एक मजबूत रणनीति है। मोदी ने संघ की 100 साल की यात्रा को इस तरह प्रस्तुत किया कि यह देश के राजनीतिक इतिहास और भविष्य पर भी प्रकाश डालता है।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का देश के निर्माण में योगदान होता है और 100 साल पहले आरएसएस का गठन हुआ था। यह संगठन राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहा है। सेवा, समर्पण और अनुशासन के साथ, संघ दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है।
इस भाषण के समय, कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष सरकार और चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया है। विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिशें जारी रखी हैं, जिससे संसद का मौजूदा सत्र प्रभावित हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी का संघ की सराहना करना यह संकेत देता है कि उनकी सरकार और पार्टी अब राष्ट्रवाद के मोर्चे पर और अधिक सक्रियता से आगे बढ़ेगी। पिछले कुछ समय में आरएसएस के प्रति भाजपा का दृष्टिकोण बदल गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में कहा था कि पार्टी अब पहले से अधिक सक्षम है।
संघ के प्रति भाजपा के बदलते रुख ने हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भी असर डाला है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संघ के स्वयंसेवकों को सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भाजपा को चुनावों में सफलता मिली।