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प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता अभियान: कबाड़ से कमाई और दक्षता में सुधार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 'स्वच्छता और दक्षता' के मिशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अक्टूबर 2025 में एक महीने तक चलने वाले इस विशेष अभियान ने सरकारी दफ्तरों से कबाड़ हटाकर 800 करोड़ रुपये की आमदनी की। इस अभियान ने न केवल सफाई की बल्कि सरकारी कार्य संस्कृति में भी बदलाव लाया है। जानें इस अभियान की सफलता और इसके पीछे की रणनीतियों के बारे में।
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प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता अभियान: कबाड़ से कमाई और दक्षता में सुधार

नई दिल्ली में स्वच्छता का नया अध्याय


नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 'स्वच्छता और दक्षता' के मिशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अक्टूबर 2025 में एक महीने तक चलने वाले विशेष अभियान के दौरान, सरकार ने दफ्तरों से पुराने कबाड़ को हटाकर न केवल स्थान को खाली किया, बल्कि इसे आय का स्रोत भी बना दिया।


स्वच्छता अभियान से मिली बड़ी आमदनी

इस स्वच्छता अभियान के माध्यम से केंद्र को 800 करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जो इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की लागत 615 करोड़ रुपये से भी अधिक है।


एक महीने में नई मिसाल

2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलने वाला यह स्वच्छता अभियान अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावशाली रहा। लगभग 11.58 लाख सरकारी कार्यालय, मंत्रालय, और विदेशी मिशन इस मुहिम में शामिल हुए। इस दौरान 232 लाख वर्ग फुट दफ्तर की जगह खाली हुई और लगभग 29 लाख पुरानी फाइलों को नष्ट किया गया। इस अभियान की निगरानी केंद्रीय मंत्रियों मनसुख मांडविया, के राम मोहन नायडू और जितेंद्र सिंह ने की।


कबाड़ से कमाई और दक्षता में सुधार

सरकारी कार्यालयों में वर्षों से जमा कबाड़ को हटाने से यह केवल सफाई का कार्य नहीं रहा, बल्कि यह आय का स्रोत भी बन गया। इस अभियान के तहत केंद्र को 800 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। 2021 से शुरू हुए इस विशेष अभियान के तहत सरकार कबाड़ की बिक्री से अब तक लगभग 4,100 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। यह मुहिम यह दर्शाती है कि 'स्वच्छता' केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभकारी हो सकती है।


पांच साल में सरकारी कार्य संस्कृति में बदलाव

2021 से 2025 तक कुल पांच विशेष स्वच्छता अभियानों का आयोजन किया गया है। इन अभियानों ने सरकारी दफ्तरों की कार्यसंस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। अब तक 23.62 लाख सरकारी परिसरों में सफाई की गई है, 928.84 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई है, और लगभग 166.95 लाख पुरानी फाइलों को समाप्त किया गया है। इन प्रयासों ने फाइल लंबितता को कम किया, कार्यालयों को आधुनिक बनाया और कर्मचारियों में जवाबदेही की नई भावना विकसित की।


नई तकनीक और पारदर्शिता की पहल

इस बार अभियान में डिजिटल पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया गया। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने ई-ऑफिस सिस्टम, ई-फाइलिंग और ऑनलाइन मॉनिटरिंग को बढ़ावा दिया। अधिकारियों ने सफाई की निगरानी के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग किया। 84 मंत्रालयों और विभागों के समन्वय से इस अभियान को प्रभावी बनाया गया। यह केवल सफाई का अभियान नहीं था, बल्कि प्रशासनिक दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम था।


प्रधानमंत्री की अपील

अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि स्वच्छता केवल एक वार्षिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक स्थायी प्रशासनिक आदत बननी चाहिए। मंत्रियों और अधिकारियों ने लंबित शिकायतों की समीक्षा की और जनता के साथ संवाद बढ़ाया। इस पूरे अभियान ने यह साबित किया कि यदि नीयत और नीति साफ हो, तो 'कबाड़' भी करोड़ों की कमाई में बदल सकता है।