प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा और ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा
भारत के नेता ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने के लिए विभिन्न देशों में प्रवासी भारतीयों के बीच भाषण दे रहे हैं। पिछले 11 वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने इसी तरह की कूटनीति अपनाई है। वे विदेश यात्रा के दौरान प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हैं। इसी क्रम में शशि थरूर, संजय झा, असदुद्दीन ओवैसी, और रविशंकर प्रसाद जैसे नेता भी विदेशों में भाषण दे रहे हैं। हालांकि, इन भाषणों का वास्तविक प्रभाव क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। लगभग 50 नेता और आठ राजदूत इस अभियान में शामिल हुए हैं, जबकि मोदी ने अकेले ही नेतृत्व किया है। डिजिटल मीडिया पर वीरता से भरे वीडियो और सैनिक वेशभूषा में होर्डिंग्स के साथ, मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में लगातार रैलियों का आयोजन किया।
गुजरात से पूर्वोत्तर तक का दौरा
गुजरात में मोदी ने यह कहा कि पाकिस्तान को चैन से रहना चाहिए, अन्यथा उनकी गोली तैयार है। उन्होंने 'मेरी गोली' शब्द का उपयोग किया, जिससे गुजराती लोग खुश हुए होंगे। इसके बाद, मोदी ने सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश का दौरा किया। 31 मई को वे मध्य प्रदेश के भोपाल पहुंचेंगे। हर जगह उनका मुख्य मुद्दा ऑपरेशन सिंदूर रहा, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने और पहलगाम में 26 भारतीयों की हत्या का बदला लेने का दावा किया।
सिंदूर की राजनीति पर सवाल
हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या देश सिंदूर की राजनीति को स्वीकार कर रहा है? इस समय एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर है, जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और डीएमके जैसे विपक्षी दल शामिल हैं। ये नेता भारत का पक्ष रखने के लिए विदेशों में गए हैं, जबकि मोदी देश में घूमकर उनकी आलोचना कर रहे हैं। विपक्षी दल यह भी पूछ रहे हैं कि पहलगाम में बेकसूर भारतीयों की हत्या करने वाले चार आतंकवादी अब तक क्यों नहीं पकड़े गए।
ममता बनर्जी का विरोध
ममता बनर्जी ने भाजपा की योजना को भी चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि महिलाएं केवल अपने पति का सिंदूर लगाती हैं। उन्होंने मोदी को इस प्रतीक के माध्यम से निशाना बनाया। बिहार में एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहा है कि भाजपा वाले सिंदूर लेकर आएंगे तो वह उन्हें लाठी से पीटेंगे। कुल मिलाकर, भाजपा और मोदी ने सिंदूर के प्रतीक का इतना प्रचार किया है कि लोग इससे उब चुके हैं।