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प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुरूक्षेत्र में गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस अवसर पर भारत की सांस्कृतिक धरोहर और गुरु साहिब के बलिदान को याद किया। मोदी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और त्याग प्रेरणा का स्रोत हैं। जानें उनके विचार और इस ऐतिहासिक आयोजन का महत्व।
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प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की

कुरूक्षेत्र में शहीदी दिवस का आयोजन

कुरूक्षेत्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुरूक्षेत्र में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत मिलन है। आज सुबह मैं अयोध्या में था और अब गीता की नगरी कुरूक्षेत्र में हूं। यहां हम सभी गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। इस आयोजन में उपस्थित संतों और सम्मानित संगत को मैं श्रद्धा पूर्वक नमन करता हूं।

उन्होंने आगे कहा कि 5-6 साल पहले एक अद्भुत संयोग बना था। 2019 में 9 नवंबर को जब राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया, उस दिन मैं करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में था। मैंने प्रार्थना की थी कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, और हमारी प्रार्थना पूरी हुई।

अब जब अयोध्या में धर्म ध्वजा की स्थापना हुई है, तो मुझे सिख संगत से आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है। हाल ही में कुरूक्षेत्र में पांचजन्य स्मारक का उद्घाटन भी किया गया है। इसी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था। इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने गुरु तेग बहादुर जी के चरणों में एक स्मृति डाक टिकट और विशेष सिक्का समर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त किया है। मेरी कामना है कि हमारी सरकार गुरु परंपरा की सेवा करती रहे।

पीएम मोदी ने कहा, गुरु तेग बहादुर जी जैसे व्यक्तित्व इतिहास में विरले होते हैं। उनका जीवन, त्याग और चरित्र प्रेरणा का स्रोत है। मुगल आक्रांताओं के समय, गुरु साहिब ने वीरता का आदर्श स्थापित किया। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब को पथ से डिगाने के लिए उनके तीन साथियों की निर्ममता से हत्या की गई, लेकिन गुरु साहिब अडिग रहे और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना शीश समर्पित कर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की स्मृति हमें सिखाती है कि भारत की संस्कृति कितनी व्यापक और मानवता केंद्रित रही है। उन्होंने 'सरबत दा भला' का मंत्र अपने जीवन से सिद्ध किया। आज का यह आयोजन केवल स्मृतियों और सिखों के सम्मान का क्षण नहीं है, बल्कि हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा भी है। गुरु साहिब ने सिखाया है कि 'जो नर दुख में दुख नहिं माने, सो ही पूर्ण ज्ञानी' यानी जो विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहता है, वही सच्चा ज्ञानी है।