प्रधानमंत्री मोदी ने देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मनाई

अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती का आयोजन
अहिल्याबाई होलकर 300वीं जयंती: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 31 मई 2025 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर पहुंचे हैं। इस मौके पर वे आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे और कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। आइए जानते हैं न्याय की प्रतीक रानी अहिल्याबाई के जीवन के बारे में।
10 वर्ष की आयु में हुई शादी
अहिल्याबाई होलकर 18वीं शताब्दी में मालवा-मराठा साम्राज्य की रानी थीं, जिन्हें भारत की दूरदर्शी महिला शासकों में गिना जाता है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम मनोकजी शिंदे था, जो एक किसान थे। केवल 10 साल की उम्र में उनकी शादी खंडेराव से हुई, जिनके ससुर मल्हारराव होलकर थे।
साम्राज्य की जिम्मेदारी संभालने का कारण
1754 में, अहिल्याबाई के पति खंडेराव होलकर कुम्भेर युद्ध में शहीद हो गए। पति की मृत्यु के लगभग 12 साल बाद उनके ससुर का भी निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें होलकर वंश की बागडोर संभालनी पड़ी। देवी अहिल्याबाई ने महेश्वर को होल्कर राज्य की राजधानी बनाया, जहां 18वीं सदी का भव्य अहिल्या महल स्थित था। वे नियमित रूप से अपनी प्रजा से संवाद करती थीं और उनकी समस्याओं का समाधान करती थीं। उस समय महेश्वर और इंदौर में काफी विकास हुआ।
अपने बेटे को सुनाई थी मौत की सजा
युद्ध के दौरान देवी अहिल्याबाई अपनी सेना में शामिल होकर दुश्मनों से लड़ा करती थीं। उन्हें बहादुरी और न्याय की मूर्ति माना जाता था। कहा जाता है कि उन्होंने अपने बेटे मालोजीराव को मौत की सजा सुनाई थी। मालोजीराव पर आरोप था कि उन्होंने अपने रथ से एक गाय या बछड़े को कुचल दिया था, जिसके बाद देवी अहिल्याबाई ने उन्हें दंडित किया।
शिव जी की अनन्य भक्त
देवी अहिल्याबाई शिव जी की अनन्य भक्त थीं और नियमित रूप से उनकी पूजा करती थीं। मृत्यु से पहले उन्होंने अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने राज्य में कई शिव मंदिरों का निर्माण कराया और साथ ही सड़कें और धर्मशालाएं भी बनवाईं।