प्रशांत किशोर का चुनावी सफर: तमिलनाडु में विजय के साथ नई शुरुआत
प्रशांत किशोर की नई रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को निराशाजनक परिणाम मिले हैं। पार्टी को न केवल कोई सीट नहीं मिली, बल्कि उसे महज 3.5 प्रतिशत वोट भी प्राप्त हुए। अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। इस हार के बाद, प्रशांत किशोर ने भितिहरवा के गांधी आश्रम में एक दिन का उपवास रखा और अपनी राजनीतिक लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
अब, यह चर्चा है कि प्रशांत किशोर एक बार फिर चुनाव प्रबंधन में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने तमिलनाडु में फिल्म अभिनेता विजय के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की है। उल्लेखनीय है कि जब उन्होंने बिहार में अपनी पार्टी का गठन किया था, तब उन्होंने विजय के चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी ली थी। बिहार के चुनावी खर्च के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा था कि यदि वे एक-दो राज्यों में चुनाव प्रबंधन का कार्य कर लेते हैं, तो उन्हें पर्याप्त धन मिल जाएगा।
विजय का चुनावी अभियान
बिहार चुनाव समाप्त होते ही, तमिलनाडु में विजय की पार्टी टीवीके का चुनावी अभियान शुरू हो गया। करूर में हुई भगदड़ के बाद, विजय ने एक बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को निशाना बनाया। विजय ने स्टालिन की सरकार को 'सिंडिकेट ऑफ डकैत' करार दिया है।
इस प्रकार, विजय ने स्पष्ट कर दिया है कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर तमिलनाडु में चुनाव लड़ेंगे। उनकी रैली में दिए गए बयानों में प्रशांत किशोर की रणनीति की छाप दिखाई देती है। ध्यान देने योग्य है कि डीएमके और अन्ना डीएमके ने बारी-बारी से तमिलनाडु में शासन किया है। कांग्रेस डीएमके के साथ है, जबकि भाजपा अन्ना डीएमके के साथ खड़ी है। ऐसे में, कोई भी पार्टी भ्रष्टाचार के मुद्दे को विजय की तरह प्रभावी ढंग से नहीं उठा सकती। इसलिए, विजय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनावी लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
