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प्रियंका गांधी और नितिन गडकरी के बीच लोकसभा में सौहार्दपूर्ण संवाद

आज लोकसभा में प्रियंका गांधी और नितिन गडकरी के बीच एक दिलचस्प संवाद हुआ, जिसमें प्रियंका ने अपने क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा के लिए समय मांगा। गडकरी ने कहा कि उनका दरवाजा हमेशा खुला है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में सड़क निर्माण की चुनौतियों और स्विट्जरलैंड के साथ समझौते के बारे में जानकारी दी। यह संवाद सदन में सकारात्मक माहौल का निर्माण करता है।
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प्रियंका गांधी और नितिन गडकरी के बीच लोकसभा में सौहार्दपूर्ण संवाद

लोकसभा में संवाद का माहौल

नई दिल्ली - आज लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बीच एक दिलचस्प और सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई। प्रियंका गांधी ने मंत्री से कहा कि वह जून से अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए समय मांग रही हैं। इस पर नितिन गडकरी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि प्रश्नकाल के बाद कभी भी आ सकती हैं।


गडकरी ने यह भी कहा कि उनका दरवाजा हमेशा खुला रहता है और मिलने के लिए किसी अपॉइंटमेंट की आवश्यकता नहीं है। मंत्री के इस उत्तर पर प्रियंका गांधी ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया, जिससे सदन में हल्की मुस्कान और सकारात्मक माहौल बना।


इसके बाद, प्रियंका गांधी के सवाल का उत्तर देते हुए नितिन गडकरी ने हिमालयी क्षेत्रों में सड़क निर्माण से जुड़ी चुनौतियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमालय क्षेत्र में लगभग हर जगह एक जैसी समस्याएं हैं, विशेषकर बार-बार होने वाले भूस्खलन की। कई स्थानों पर इस कारण ठेकेदारों को भी काम छोड़ना पड़ा।


गडकरी ने सदन को बताया कि भारत ने इस समस्या का समाधान करने के लिए स्विट्जरलैंड के साथ एक समझौता किया है और हिमाचल सहित हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन संभावित 84 स्थानों की पहचान की गई है। इन स्थानों पर विशेष तकनीक से कार्य प्रारंभ किया जा चुका है।


मंत्री ने कहा कि पहले उनकी धारणा थी कि हिमालय का मतलब मजबूत पहाड़ होते हैं, लेकिन वास्तव में कई क्षेत्रों में मिट्टी की संरचना अधिक है, जो चुनौती को बढ़ाती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से इस समस्या का समाधान तेजी से किया जा रहा है। नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि सड़क और टनल परियोजनाओं के पूरा होने से चंडीगढ़ से मनाली की दूरी अब साढ़े तीन घंटे में तय की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि कई टनल और सड़कें बन चुकी हैं और हिमालयी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है।