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प्रियंका चतुर्वेदी का भविष्य: शिव सेना में बदलाव और राज्यसभा की संभावनाएं

प्रियंका चतुर्वेदी का कार्यकाल अगले साल समाप्त होने वाला है, और उनके राज्यसभा में फिर से पहुंचने की संभावनाएं चर्चा का विषय हैं। शिव सेना की वर्तमान स्थिति और महाविकास अघाड़ी की एकता के संदर्भ में, जानें कि क्या प्रियंका चतुर्वेदी को राज्यसभा में जगह मिल पाएगी। इस लेख में उनके राजनीतिक सफर और आने वाले चुनावों की चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
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प्रियंका चतुर्वेदी का भविष्य: शिव सेना में बदलाव और राज्यसभा की संभावनाएं

प्रियंका चतुर्वेदी का राजनीतिक सफर

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि उद्धव ठाकरे की शिव सेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी का भविष्य क्या होगा। उनका कार्यकाल अगले साल तीन अप्रैल को समाप्त हो रहा है, जिसका अर्थ है कि बजट सत्र उनके लिए अंतिम होगा। क्या वे किसी तरह से राज्यसभा में फिर से पहुंच पाएंगी? ध्यान देने योग्य है कि प्रियंका पहले कांग्रेस पार्टी में थीं, जहां उन्होंने प्रवक्ता के रूप में अच्छी पहचान बनाई। लेकिन 2018 में उन्होंने अचानक शिव सेना का दामन थाम लिया। उस समय शिव सेना एकजुट थी और प्रियंका को राज्यसभा भेजा गया। जब शिव सेना में विभाजन हुआ, तब भी वे उद्धव ठाकरे के साथ बनी रहीं.


राज्यसभा की सीटों की स्थिति

अब जब उनका कार्यकाल समाप्त होने को है, उद्धव ठाकरे की शिव सेना एक भी सीट जीतने में असमर्थ है। उल्लेखनीय है कि उनकी पार्टी ने केवल 20 विधानसभा सीटें जीती हैं, जबकि समूचे महाविकास अघाड़ी के पास 48 सीटें हैं। महाराष्ट्र में राज्यसभा की सात सीटें खाली हो रही हैं, और एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की आवश्यकता है। यदि महाविकास अघाड़ी एकजुट रहता है, तो उसे एक सीट मिल सकती है। चूंकि शिव सेना के पास सबसे अधिक सीटें हैं, इसलिए वह इस एक सीट पर दावा कर सकती है. लेकिन समस्या यह है कि एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार भी रिटायर हो रहे हैं। वे महाराष्ट्र के प्रमुख नेता हैं और महाविकास अघाड़ी को एकजुट रखने की शक्ति हैं। यदि वे उच्च सदन में बने रहने की इच्छा व्यक्त करते हैं, तो प्रियंका चतुर्वेदी के लिए स्थिति कठिन हो जाएगी।