प्रियांक खरगे का दावा: द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का विचार सावरकर का था

सावरकर का द्वि-राष्ट्र सिद्धांत
नई दिल्ली। कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने यह दावा किया है कि द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का विचार पहले विनायक दामोदर सावरकर द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जो मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग से पहले आया। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि 'द्वि-राष्ट्र का विचार सबसे पहले वीर सावरकर ने पेश किया था और उनके समर्थकों ने इसे आगे बढ़ाया।'
The idea of Two Nations was first floated by “Veer” Savarkar and endorsed by his “tukde tukde gang”.
Chronology samajiye:
In Essentials of Hindutva (written in 1922), Savarkar defines Hindutva not by religion, but by homeland, India as both “Fatherland and Holyland”.
During…
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) August 16, 2025
खरगे ने सावरकर के लेखों और भाषणों का उल्लेख करते हुए बताया कि 'एसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व' (जो 1922 में लिखी गई) में, सावरकर हिंदुत्व को धर्म से नहीं, बल्कि मातृभूमि से परिभाषित करते हैं, और भारत को 'पितृभूमि और पवित्रभूमि' दोनों के रूप में दर्शाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन के दौरान, सावरकर ने कहा था कि भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ निवास कर रहे हैं। आज का भारत एकात्मक और समरूप राष्ट्र नहीं है, बल्कि मुख्य रूप से दो देश हैं: हिंदू और मुसलमान।
खरगे ने 1943 में नागपुर में सावरकर की टिप्पणी का भी उल्लेख किया: 'मुझे जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत से कोई आपत्ति नहीं है। हम हिंदू, अपने आप में एक राष्ट्र हैं, और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।'