प्रोफेसर जगदीप छोकर का निधन: चुनाव सुधारों के अग्रदूत
प्रोफेसर जगदीप छोकर, जो चुनाव सुधारों के लिए जाने जाते थे, का आज निधन हो गया। उन्होंने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की स्थापना की और भारतीय राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके योगदान ने आम नागरिकों को मतदान की शक्ति से अवगत कराया। जानें उनके जीवन और कार्यों के बारे में अधिक जानकारी।
Sep 13, 2025, 11:40 IST
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प्रोफेसर जगदीप छोकर का योगदान
भारत में चुनाव सुधारों के लिए एक प्रमुख चेहरा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के सह-संस्थापक, प्रोफेसर जगदीप छोकर का आज सुबह 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन से देश ने एक ऐसे सजग प्रहरी को खो दिया है, जिसने आम नागरिकों को मतदान की असली शक्ति से अवगत कराया।जगदीप छोकर, जो IIM अहमदाबाद के पूर्व डीन और प्रोफेसर रहे, उन व्यक्तियों में से थे जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। आज यदि हम अपने उम्मीदवारों की संपत्ति, आपराधिक रिकॉर्ड और शैक्षिक योग्यता के बारे में एक क्लिक पर जानकारी प्राप्त कर पाते हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय प्रोफेसर छोकर और उनके सहयोगियों द्वारा शुरू की गई मुहिम को जाता है।
कैसे हुई ADR की स्थापना?
1999 में, प्रोफेसर छोकर ने IIM के कुछ प्रोफेसरों और छात्रों के साथ मिलकर ADR की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की जानकारी को जनता तक पहुंचाना था। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया गया कि हर उम्मीदवार को नामांकन के समय अपनी संपत्ति, आपराधिक मामलों और शैक्षिक योग्यता का हलफनामा देना अनिवार्य होगा।
यह एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसने भारतीय राजनीति में पारदर्शिता का एक नया अध्याय शुरू किया। आज ADR की रिपोर्ट हर मतदाता के लिए चुनाव के समय एक विश्वसनीय गाइड का काम करती है। प्रोफेसर छोकर केवल एक शिक्षाविद नहीं थे, बल्कि एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने अपने जीवन को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समर्पित किया। उनका कार्य हमें यह याद दिलाता रहेगा कि सिस्टम में बदलाव लाने के लिए एक अकेला, लेकिन दृढ़ इरादों वाला व्यक्ति भी काफी होता है।