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बंगाल चुनाव 2026: भाजपा और टीएमसी के बीच तीखी टक्कर

बंगाल चुनाव 2026 की तैयारी जोरों पर है, जहां भाजपा और टीएमसी के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि ममता ने भाजपा को चुनाव कराने की चुनौती दी है। दोनों पार्टियों की रणनीतियाँ और मतदाता आधार पर नजर डालते हुए, यह चुनाव न केवल राज्य के भविष्य, बल्कि देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है। जानें इस चुनावी जंग में कौन सी पार्टी जीत हासिल कर सकती है।
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बंगाल चुनाव की तैयारी में भाजपा और टीएमसी

बंगाल में 2026 के चुनाव की तैयारी जोर पकड़ चुकी है, भले ही मतदान में अभी समय हो। आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी से यह स्पष्ट है कि चुनावी माहौल बेहद गर्म है। गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में बंगाल दौरे के दौरान ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया, यह कहते हुए कि यह चुनाव न केवल राज्य के भविष्य, बल्कि देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए सीमाएं खोली हैं, और केवल भाजपा ही इसे रोक सकती है।


प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान ममता बनर्जी ने भाजपा को चुनौती दी थी कि वे चुनाव कराएं। अमित शाह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव बिना हिंसा और हेरफेर के कराना चाहिए। अब देखना यह है कि 'बैटल ऑफ बंगाल' में किसकी जीत होती है।




भाजपा के लिए बंगाल चुनाव का महत्व

भाजपा ने 2014 और 2019 में बंगाल में सत्ताधारी पार्टी को कड़ी टक्कर दी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीतीं और 2021 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटें। 2026 में भाजपा का लक्ष्य बंगाल में सरकार बनाना है।


भाजपा की नजर 70% हिंदू मतदाताओं पर है और वे मुर्शिदाबाद हिंसा जैसे मुद्दों को उठाकर इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना रहे हैं। अमित शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर भी ममता पर निशाना साधा।




ममता बनर्जी की पार्टी का चुनावी महत्व

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस 2011 से बंगाल की सत्ता में है। उनकी लोकप्रियता और विकास योजनाएं इसके पीछे हैं। पिछले साल हुए उपचुनाव में ममता की पार्टी ने 6 सीटें जीती थीं। 2026 में जीत हासिल कर ममता अपने इतिहास को बनाए रखना चाहती हैं।


बंगाल में 27% मुस्लिम और पिछड़ी जाति समुदाय में ममता को अच्छा समर्थन मिलता है। उनकी 'मां, माटी और मानुष' नीति बंगाली अस्मिता का प्रतीक है।


बंगाल में सियासी गर्मी

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अभी एक साल बाकी है, लेकिन राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। आचार संहिता लागू हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अलीपुरद्वार में रैली की, जबकि ममता ने उनके आरोपों का जवाब दिया।


अमित शाह ने न्यू टाउन में केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया और कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारियों में जुटने की अपील की।




भाजपा का बंगाल में सत्ता में आना

पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक है, जहां भाजपा कभी सत्ता में नहीं आई। ममता बनर्जी की सरकार पिछले 14 वर्षों से सत्ता में है, जबकि भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में काम कर रही है।


ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ

भाजपा की जनसभाएं उस समय हो रही हैं जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमला हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर एक अलग संदेश देने की कोशिश की।




बंगाल की मातृशक्ति का चुनावी निर्णय

बंगाल की महिलाएं अगले विधानसभा चुनाव में किसे सत्ता पर बिठाती हैं, यह चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन वर्तमान माहौल से यह तय है कि टीएमसी और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होगी।