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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ गंभीर आरोपों का मुकदमा चल रहा है। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने उन्हें और अन्य प्रमुख अधिकारियों को अभियुक्त घोषित किया है। यह मामला उस जनविरोध से जुड़ा है जिसमें कई प्रदर्शनकारियों की जान गई थी। जानें इस मामले में क्या हुआ और पूर्व पुलिस प्रमुख ने अपनी गलती कैसे स्वीकार की।
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा

शेख हसीना पर गंभीर आरोप

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो लंबे समय तक सत्ता में रहीं, अब मानवता के खिलाफ अपराधों के गंभीर आरोपों का सामना कर रही हैं। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने उन्हें औपचारिक रूप से आरोपी मानते हुए अभियोजन को स्वीकार कर लिया है। यह मामला उस जनविरोध से संबंधित है, जिसमें उनकी सरकार के खिलाफ देशभर में बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ था, जिसमें कई प्रदर्शनकारियों की जान गई थी।


अभियुक्तों की सूची

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) की तीन सदस्यीय पीठ, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस गोलाम मोर्तुजा मोजुमदार कर रहे हैं, ने हाल ही में शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पांच अलग-अलग आरोपों में अभियुक्त घोषित किया। इन पर आरोप है कि इन्होंने पिछले वर्ष के जनआंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर संगठित और योजनाबद्ध तरीके से हिंसक कार्रवाई करवाई थी, जिसमें लगभग 1400 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश छात्र थे।


पूर्व पुलिस प्रमुख की स्वीकार्यता

पूर्व पुलिस प्रमुख ने मानी गलती

इस मामले में पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून एकमात्र अभियुक्त हैं, जो वर्तमान में जेल में हैं। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने अदालत में अपनी गलती स्वीकार कर ली है और राज्य गवाह बनने की याचिका दायर की है। इसके विपरीत, शेख हसीना और असदुज्जमान खान न्यायालय की प्रक्रिया से अनुपस्थित हैं और उनके खिलाफ मुकदमा गैर-हाजिरी में चलाया जा रहा है। बताया गया है कि शेख हसीना पिछले वर्ष 5 अगस्त को भारत भाग गई थीं, जब एक बड़े जनआंदोलन के बाद उनकी सरकार को सत्ता से हटा दिया गया।


साक्ष्य और आरोप

ट्राइब्यूनल में पेश हुए सबूत

बांग्लादेश के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अदालत में कहा कि यह हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध और संगठित था। उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी सुरक्षा एजेंसियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को आंदोलन को कुचलने का आदेश दिया था। इस्लाम के अनुसार, यह केवल हिंसा नहीं थी, बल्कि मानवता के खिलाफ एक संगठित हमला था। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया कि आंदोलन में 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई।