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बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों से जुड़ी हिंसा के खिलाफ नागरिकों का विरोध

बांग्लादेश में सैकड़ों नागरिकों ने कथित ईशनिंदा के आरोपों के तहत हो रही हिंसा और गिरफ्तारियों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई है। यह विरोध बाउल गायक अबुल सरकार की गिरफ्तारी के बाद बढ़ा है। नागरिकों ने धार्मिक कट्टरता के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए सरकार की आलोचना की है। उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिससे लोकतंत्र के समर्थकों में निराशा बढ़ रही है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
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बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों से जुड़ी हिंसा के खिलाफ नागरिकों का विरोध

बांग्लादेश में नागरिकों का बड़ा विरोध

ढाका: सैकड़ों बांग्लादेशी नागरिकों ने देशभर में हो रही हिंसा, गिरफ्तारियों और मुकदमों के खिलाफ आवाज उठाई है, जो कि कथित 'ईशनिंदा' के आरोपों के तहत हो रही हैं। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह विरोध बाउल गायक अबुल सरकार की गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायियों पर हुए हमलों के कारण बढ़ा है।


258 नागरिकों के एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों के बाद से बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक विशेष समूह खुद को इस्लाम का 'एकमात्र प्रतिनिधि' मानते हुए कार्रवाई कर रहा है।


बांग्लादेश के एक प्रमुख दैनिक ने साइन करने वालों के हवाले से बताया कि 200 से अधिक मजारों को ध्वस्त किया गया है, और कई लोगों को धर्म से भटकने वाला या काफिर करार दिया गया है। इसके अलावा, बाउल और फकीरों के बाल जबरदस्ती काटने, महिलाओं को परेशान करने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रुकावट डालने की घटनाएं भी सामने आई हैं।


लोगों ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की आलोचना की है, जो इन हिंसक घटनाओं को रोकने में असफल रही है। बयान में कहा गया है कि 'ईशनिंदा' के आरोपों का इस्तेमाल लगातार एक हथियार के रूप में किया जा रहा है।


बयान में यह भी कहा गया है कि डेढ़ साल बाद भी सरकार का रवैया धार्मिक फासीवाद को बढ़ावा देने वाला प्रतीत होता है, जिससे लोकतंत्र के समर्थकों में निराशा बढ़ रही है।


नागरिकों ने अबुल सरकार की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। इस बयान में बांग्लादेश के शिक्षक, लेखक, शोधकर्ता, कलाकार, पत्रकार, मानवाधिकार रक्षक, सांस्कृतिक कार्यकर्ता और बाउल अनुयायी शामिल थे।


यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी ने दुनिया भर में गुस्सा पैदा किया है।