बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के हमलों का पलटा असर, बम धमाकों से हड़कंप
बांग्लादेश में हाल के दिनों में कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए हमलों का पलटा असर देखने को मिला है। बम धमाकों की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिनमें हमलावर खुद ही प्रभावित हो रहे हैं। ढाका में हुए दो बम धमाकों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। एक मदरसे में बम बनाने की फैक्ट्री का खुलासा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ साजिशें रच रहे थे। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी।
| Dec 29, 2025, 18:03 IST
बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की साजिश का खुलासा
जो लोग दूसरों के लिए गड्ढे खोदते हैं, अंततः खुद भी उनमें गिरते हैं। इसी तरह, नफरत की आग में जलने की कोशिश करने वाले एक दिन खुद भी उसी आग में जलकर खत्म हो जाते हैं। बांग्लादेश में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। पाकिस्तान, जो मजहब के आधार पर बना है, वहां हिंदुओं पर अत्याचार किए गए। उनका जबरन धर्मांतरण किया गया और उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं, जिसके कारण हिंदुओं को वहां से पलायन करना पड़ा। अब पाकिस्तान अपने किए का फल भोग रहा है। जिहादियों को तैयार करने के बाद, वही लोग अब बम विस्फोटों के जरिए पाकिस्तान को दहशत में डाल रहे हैं। अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जहां जिहादी खुद ही उन बमों के विस्फोट में मारे जाते हैं, जिन्हें उन्होंने दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया था।
बांग्लादेश में बम धमाकों की श्रृंखला
हाल ही में बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर कट्टरपंथियों द्वारा हमले किए जा रहे थे, लेकिन अब उनके दिन उलटने लगे हैं। बांग्लादेश में हाल के दिनों में बम धमाकों की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिनमें वही लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिन्हें हिंदुओं पर हमले के लिए तैयार किया गया था। कुछ घंटों के भीतर ढाका में दो बम धमाकों की खबर आई। पहला धमाका मोक बाजार फ्लाईओवर के पास हुआ, जिसमें एक युवक सैफुल की मौके पर ही मौत हो गई। इसके कुछ समय बाद, ढाका के एक मदरसे में दूसरा धमाका हुआ।
मदरसे में बम बनाने की फैक्ट्री का खुलासा
दूसरे धमाके के बाद एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पता चला है कि उस मदरसे में बम बनाने की फैक्ट्री चल रही थी, और इन बमों का इस्तेमाल हिंदुओं के क्षेत्रों में हमले के लिए किया जाना था। मदरसे के निदेशक शेख अल अमीन, उनकी पत्नी आसिया बेगम और उनके दो छोटे बेटे, साथ ही पड़ोसी हुमायूं कबीर गंभीर रूप से घायल हो गए। धमाका इतना भयंकर था कि कमरे की दीवारें उड़ गईं। गनीमत यह रही कि धमाके के समय मदरसे में छात्र मौजूद नहीं थे, अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती थी।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के बीच बड़ी साजिश
मदरसे का उपयोग ढाल के रूप में किया जा रहा था, जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। यह कहावत सच साबित होती है कि जैसा किया जाता है, वैसा ही एक दिन भुगतना पड़ता है।
