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बांग्लादेश में यूनुस के नेतृत्व में बढ़ते छात्र विरोध और राजनीतिक तनाव

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के शासन के खिलाफ छात्र आंदोलन तेज हो गया है। छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और आवामी लीग ने बंद का ऐलान किया है। इस राजनीतिक संकट के पीछे यूनुस द्वारा उठाए गए कदम हैं, जो जमात इस्लामी को खुश करने के लिए संस्कृति के खिलाफ हैं। जानें इस स्थिति के बारे में और अधिक जानकारी, जिसमें पूर्व पीएम हसीना के खिलाफ झूठे मामलों की वापसी की मांग भी शामिल है।
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बांग्लादेश में यूनुस के नेतृत्व में बढ़ते छात्र विरोध और राजनीतिक तनाव

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन की लहर

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस ने जैसे ही अपने शासन की शुरुआत की, देश में विरोध की लहर उठ गई है। छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और आवामी लीग ने बंद का ऐलान किया है। बीएनपी और जमात एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, जबकि यूनुस को यह समझ में आ गया है कि जिस कुर्सी पर उन्होंने बैठने का सपना देखा था, वह वास्तव में कांटों का ताज साबित हो रहा है। हजारों छात्र मशालें लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह केवल एक विरोध नहीं है, बल्कि संस्कृति के खिलाफ उठाए गए कदमों का जवाब है। यूनुस ने जमात इस्लामी को खुश करने के लिए संगीत कक्षाएं बंद करवा दीं और शारीरिक शिक्षा को भी समाप्त कर दिया।


राजनीतिक स्थिति और छात्र असंतोष

यूनुस की सरकार के खिलाफ छात्र और शिक्षक दोनों ही नाराज हैं। बीएनपी दबाव में है, जबकि जमात और आवामी लीग के कार्यकर्ता आक्रामक हो गए हैं। शेख हसीना की पार्टी ने अचानक देशभर में बंद का ऐलान किया, जिससे ढाका से लेकर सिलहट तक सभी गतिविधियाँ ठप हो गईं। हसीना के समर्थकों ने राजधानी में हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया, जिसमें उनकी मांग है कि पूर्व पीएम हसीना के खिलाफ झूठे मामलों को वापस लिया जाए और फरवरी में चुनाव की तारीख घोषित की जाए।


यूनुस का बयान और जनमत संग्रह का समर्थन

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि आवामी लीग पर प्रतिबंध फिलहाल जारी रहेगा। ब्रिटिश मंत्री जेनी चैपमैन से मुलाकात के बाद यूनुस ने यह जानकारी दी। इसके अलावा, जनमत संग्रह के मुद्दे पर उन्हें नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) का समर्थन मिला है। एनसीपी के प्रमुख ने सुझाव दिया है कि फरवरी में चुनाव के साथ जनमत संग्रह कराना उचित होगा।