Newzfatafatlogo

बिलावल भुट्टो का अमेरिका पर आतंकवाद का आरोप

बिलावल भुट्टो जरदारी ने हाल ही में अमेरिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अफगानिस्तान से वापसी के दौरान छोड़े गए सैन्य उपकरण अब आतंकवादी समूहों के हाथों में हैं। उन्होंने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के लिए अमेरिका और क्षेत्रीय स्थिति को जिम्मेदार ठहराया। इस बयान में उन्होंने तालिबान का उल्लेख किया, लेकिन पाकिस्तान की भूमिका पर चुप्पी साधी। यह बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का शिकार बताकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की मांग कर रहा है।
 | 
बिलावल भुट्टो का अमेरिका पर आतंकवाद का आरोप

बिलावल भुट्टो जरदारी का बयान

बिलावल भुट्टो जरदारी: पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद की जड़ें किस देश में कितनी गहरी हैं। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की छवि को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।

इस संदर्भ में, पाकिस्तान कभी खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, तो कभी यह मानता है कि उसकी भूमि पर आतंकवाद का विकास हो रहा है। हाल ही में, पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने आतंकवाद के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।

बिलावल ने अपने वाशिंगटन दौरे के दौरान अफगानिस्तान और आतंकवाद पर एक ऐसा बयान दिया है, जो अमेरिका के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है। उन्होंने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और क्षेत्रीय स्थिति को जिम्मेदार ठहराया है। एक ओर, डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिलावल अमेरिका को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।


ट्रंप पर गंभीर आरोप

ट्रंप पर बिलावल का बड़ा आरोप

बिलावल ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से जल्दबाजी में वापसी करते समय वहां बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण छोड़ दिए। उनका कहना है कि ये हथियार अब आतंकवादी समूहों के हाथों में पहुंच चुके हैं और उनका उपयोग पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के खिलाफ किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, 'आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई बार जब हम पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकियों से लड़ते हैं, तो उनके पास ऐसे हथियार होते हैं जो हमारी पुलिस के पास भी नहीं होते।' बिलावल का यह बयान डोनाल्ड ट्रंप के 2020 के निर्णय की ओर इशारा करता है।


पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल

खुद को आतंकवाद का शिकार बताना चाहता है पाक

बिलावल ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। यह दिलचस्प है कि वह तालिबान का उल्लेख कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान की भूमिका पर चुप हैं, जो वर्षों से आतंकवादी संगठनों को आश्रय देता रहा है। बिलावल का यह बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति भी हो सकती है, जिसमें पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का शिकार बताकर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहानुभूति और सहयोग चाहता है।