बिहार की एकमा विधानसभा सीट: राजनीतिक महत्व और विकास की चुनौतियाँ

एकमा विधानसभा सीट का राजनीतिक महत्व
पटना: बिहार की एकमा विधानसभा सीट को हमेशा से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षेत्र माना जाता है। हर चुनाव में यहां की प्रतिस्पर्धा कड़ी और दिलचस्प होती है, और इस बार भी सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजरें इस सीट पर हैं।
यह सीट केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि जातीय समीकरण, सांस्कृतिक धरोहर और विकास से जुड़ी चुनौतियों के कारण भी महत्वपूर्ण है।
एकमा क्षेत्र सारण जिले में स्थित है और यह महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सामान्य श्रेणी की सीट है, जिसमें एकमा और लहलादपुर सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ मांझी प्रखंड की नौ ग्राम पंचायतें और एकमा प्रखंड की तीन ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति
वर्तमान में, एकमा सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास है। यहां ब्राह्मण, राजपूत और यादव समुदायों का प्रभाव चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1951 में पहली बार यहां चुनाव हुए थे, लेकिन इसके बाद यह सीट समाप्त कर दी गई। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट फिर से अस्तित्व में आई। 2010 में मनोरंजन सिंह (धूमल सिंह) ने यहां से विधायक बनने में सफलता पाई और 2015 में भी उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि, 2020 में जेडीयू ने उनका टिकट काट दिया, जिसके बाद राजद के श्रीकांत यादव ने चुनाव जीतकर सीट पर कब्जा किया।
आर्थिक गतिविधियाँ और विकास की चुनौतियाँ
एकमा शहर छपरा-सीवान रेलमार्ग पर स्थित है और सड़क मार्ग से भी आसपास के शहरी केंद्रों से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र घाघरा और गंडक नदियों के उपजाऊ मैदान में बसा हुआ है, जहां कृषि प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। धान, गेहूं, मक्का और दालें यहां की मुख्य फसलें हैं।
हालांकि, क्षेत्र में कुछ लघु चावल मिलें और ईंट भट्टे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास की कमी के कारण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हैं।
स्थानीय संस्कृति और उत्सव
एकमा के भोरोहोपुर गांव में हर साल महावीरी झंडा मेला आयोजित होता है, जो स्थानीय ग्रामीण संस्कृति का एक प्रमुख उत्सव है। यह परंपरा वर्षों पुरानी है और क्षेत्रवासियों के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और क्या विकास की नई राह खुलती है।