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बिहार की मतदाता सूची पर चुनाव आयोग का बड़ा बयान: क्या है विपक्ष का विरोध?

चुनाव आयोग ने बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर किसी भी राजनीतिक दल द्वारा औपचारिक आपत्ति न होने की जानकारी दी है। आयोग ने यह भी आश्वासन दिया है कि योग्य मतदाता सूची से बाहर नहीं होंगे। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्तियां जताई हैं, आरोप लगाते हुए कि लाखों लोगों के नाम हटाए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है, जिसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने का दावा किया गया है। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और आयोग की पारदर्शिता की पहल।
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बिहार की मतदाता सूची पर चुनाव आयोग का बड़ा बयान: क्या है विपक्ष का विरोध?

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान उठे विवादों और आरोपों के बावजूद, 1 अगस्त को जारी की गई बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर किसी भी राजनीतिक पार्टी ने औपचारिक आपत्ति या दावा नहीं किया है। आयोग ने यह भी आश्वासन दिया है कि किसी भी योग्य मतदाता को सूची से बाहर नहीं किया जाएगा और अपात्र व्यक्तियों के नाम सूची में नहीं होंगे.


मतदाताओं से प्राप्त दावे और आपत्तियां

हालांकि, आयोग को व्यक्तिगत रूप से 5,015 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके अलावा, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के 27,517 नए मतदाताओं ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। ये सभी मामले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और उनके सहायक (एईआरओ) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत और सात दिन की प्रतीक्षा अवधि के बाद निपटाए जाएंगे। आयोग ने यह भी कहा कि बिना 'स्पीकिंग ऑर्डर' और विधिवत जांच के कोई नाम मसौदा सूची से नहीं हटाए जाएंगे.


विपक्ष का विरोध

इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक ने गंभीर आपत्तियां उठाई हैं। उनका आरोप है कि इस विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के माध्यम से लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। इस मुद्दे पर संसद में विरोध प्रदर्शन भी किया गया है और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर बहस की मांग की गई है.


सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि 65 लाख मतदाता मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं और उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कोर्ट की पीठ ने निर्देश दिया कि चुनाव आयोग हटाए गए मतदाताओं का विवरण और संबंधित डेटा याचिकाकर्ता को साझा करे। आयोग ने उत्तर में कहा कि सभी आवश्यक जानकारी पहले ही राजनीतिक दलों के साथ साझा की जा चुकी है.


मतदाता सूची की पारदर्शिता

मतदाता सूची की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग ने बताया कि 12 राजनीतिक दलों के 1.60 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) पुनरीक्षण में शामिल थे। नागरिक अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपने नाम की पुष्टि, दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आयोग ने सभी मतदाताओं से 1 सितंबर, 2025 तक अपनी नई फोटो संबंधित बीएलओ को जमा करने की अपील की है.


एसआईआर प्रक्रिया का विवरण

एसआईआर प्रक्रिया में यह भी सामने आया है कि लगभग 35 लाख मतदाता या तो अपने पते पर उपलब्ध नहीं हैं या स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि नाम हटाने की प्रक्रिया प्रमाणित साक्ष्यों और उचित नियमों के तहत ही की जा रही है, जिससे सूची की शुद्धता और विश्वसनीयता बनी रहे.