बिहार चुनाव 2025: डाक मतपत्रों की गिनती में बदलाव, ईवीएम की प्रक्रिया पर असर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नई मतगणना प्रक्रिया
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतगणना प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है. इस नए नियम के तहत, अब यदि डाक मतपत्रों (पोस्टल बैलेट) की गिनती पूरी नहीं हुई है, तो ईवीएम की अंतिम चरण की मतगणना को रोक दिया जाएगा. यह गिनती तब तक शुरू नहीं होगी जब तक सभी डाक मतपत्रों की गिनती पूरी नहीं हो जाती. यह व्यवस्था पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लागू की जाएगी.
पुरानी व्यवस्था में क्या होता था?
आपको बता दें कि अब तक चुनावों में यह देखा जाता रहा है कि डाक मतपत्रों की गिनती की प्रक्रिया को ईवीएम की गिनती की गति या चरणों से जोड़कर नहीं देखा जाता था. यानी, भले ही पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी न हुई हो, ईवीएम के सभी राउंड की गिनती कर ली जाती थी. लेकिन अब चुनाव आयोग ने इसे एक संवेदनशील और निर्णायक पहलू मानते हुए नियमों में बदलाव किया है.
बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?
चुनाव आयोग का कहना है कि दिव्यांग मतदाताओं, 85 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए डाक द्वारा मतदान की सुविधा दी गई है, जिससे पोस्टल बैलेट की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. इसके अतिरिक्त, देश में बुजुर्ग आबादी में हो रही बढ़ोतरी के चलते आने वाले चुनावों में इस तरह के मतों की संख्या और बढ़ेगी. ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि पोस्टल बैलेट की गिनती का प्रभाव नतीजों पर सही ढंग से पड़े और कोई भी संदेह या विवाद की स्थिति न बने.
नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
अब मतगणना के दिन जब गिनती शुरू होगी, तो डाक मतपत्रों की गिनती सुबह 8 बजे से और ईवीएम की गिनती सुबह 8:30 बजे से शुरू होगी. यदि ईवीएम की गिनती के अंतिम राउंड से पहले (जैसे यदि कुल 10 राउंड हैं तो 8वें राउंड तक) यह देखा गया कि डाक मतपत्रों की गिनती अभी बाकी है, तो ईवीएम की अंतिम राउंड की गिनती रोक दी जाएगी. गिनती तब तक नहीं होगी जब तक पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी नहीं हो जाती.
प्रशासन को दिए गए निर्देश
चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि डाक मतपत्रों की गणना तेज़ी से पूरी की जा सके, इसके लिए पर्याप्त संख्या में टेबल लगाए जाएं और आवश्यक कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि ईवीएम की गिनती को अनावश्यक रूप से रोकने की स्थिति उत्पन्न न हो.
मतगणना में पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रयास
चुनाव आयोग का मानना है कि इस तरह के सुधार से न केवल मतगणना प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, बल्कि अंतिम परिणामों को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी, विवाद या कानूनी चुनौती की संभावना भी कम होगी. आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जब चुनाव परिणामों में अंतर बहुत कम होता है, तो पोस्टल बैलेट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. यदि इनकी गिनती अंत में होती है और अंतिम परिणाम इससे प्रभावित होता है, तो विवाद की आशंका बनी रहती है. अब यह संशोधित प्रक्रिया उस जोखिम को खत्म करने की दिशा में एक संतुलित और दूरदर्शी कदम है.
चुनाव आयोग ने पिछले छह महीनों में चुनाव प्रणाली में सुधार के तहत 29 महत्वपूर्ण पहलें की हैं, जिनमें यह निर्णय भी शामिल है. यह कदम भारत के लोकतंत्र को और अधिक मजबूत और मतदाता के मत की महत्ता को और अधिक स्पष्ट करने की दिशा में उठाया गया है.