बिहार चुनाव 2025: डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की वोटर आईडी पर उठे सवाल, विपक्ष ने चुनाव आयोग को घेरा

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में उथल-पुथल
Bihar Elections 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। चुनावी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं, जबकि सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी अपने चरम पर पहुँच गया है। इसी बीच, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा की वोटर आईडी को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है, जिसके चलते विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की नेता रोहिणी आचार्य और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला किया है। आरोप है कि विजय सिन्हा के नाम से दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर आईडी पंजीकृत हैं, और दोनों में उनकी उम्र भी भिन्न बताई गई है। इस मामले पर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज हो गई है।
विवाद का सारांश
क्या है पूरा मामला?
कांग्रेस पार्टी ने यह आरोप लगाया है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के नाम से दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में नाम दर्ज हैं। इसके अलावा, दोनों वोटर आईडी में उनकी उम्र भी अलग-अलग दर्शाई गई है। इस दावे के बाद विपक्षी दल चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांग रहे हैं और मामले की जांच की मांग कर रहे हैं।
रोहिणी आचार्य का सवाल
रोहिणी आचार्य के सवाल
राजद नेता रोहिणी आचार्य ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'चुनाव आयोग को ये नहीं दिखेगा, दिखेगा भी कैसे जिनके लिए आयोग की निष्ठा है, उनसे ही जुड़ी ये बात है। वैसे जवाब कौन देगा जिनसे जुड़ी ये बात है वो या उनका अपना चुनाव आयोग? गलती किसकी है आयोग की या विपक्ष से जुड़ी किसी भी बात पर बेवजह, बिना कुछ जाने - समझे - परखे फटे ढोल की तरह बजने वाले की? अब बीजेपी और उसकी समर्थक मीडिया चुप क्यों है?' उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर कई सवाल उठाए जाने लगे हैं.
तेजस्वी यादव का हमला
तेजस्वी यादव का निशाना
राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस मामले में सीधा हमला करते हुए कहा कि 'बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के पास दो EPIC नंबर हैं। वो भी दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का- एक में उम्र 57 साल है, और दूसरे में उम्र 60 साल है। चुनाव आयोग के एप्लीकेशन पर ये ऑनलाइन भी है। तो अब इसमें कौन फर्जीवाड़ा कर रहा है? लोगों को ये पता होना चाहिए। सिर्फ दो ही चीजें हो सकती हैं: या तो चुनाव आयोग की SIR की पूरी प्रक्रिया ही फर्जीवाड़ा है या बिहार के उपमुख्यमंत्री फर्जीवाड़ा हैं.'
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
इस विवाद ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष का कहना है कि जब एक डिप्टी सीएम के नाम पर दो अलग-अलग पहचान पत्र हो सकते हैं, तो आम जनता के साथ क्या हो सकता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव दोनों ने भाजपा और कुछ मीडिया संस्थानों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि जब विपक्ष से जुड़ा कोई मामूली मुद्दा होता है तो पूरा मीडिया शोर मचाने लगता है, लेकिन जब सत्ता पक्ष पर गंभीर आरोप लगते हैं, तो सब खामोश हो जाते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला राजनीतिक रूप से बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.