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बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव का बयान महागठबंधन में हलचल का कारण

बिहार में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने नाम से वोट मांगने की बात कही है। इस बयान ने कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के बीच हलचल मचा दी है। जानें इस राजनीतिक खींचतान के पीछे की वजह और तेजस्वी की रणनीति क्या है।
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बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव का बयान महागठबंधन में हलचल का कारण

बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन में सीट बंटवारे का विवाद

Bihar Elections 2025: बिहार में महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। RJD नेता तेजस्वी यादव के हालिया बयान ने इस राजनीतिक खींचतान को और भी बढ़ा दिया है। तेजस्वी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने नाम से वोट मांगेंगे। उनके इस बयान ने कांग्रेस और पूरे महागठबंधन को हिला कर रख दिया है।


तेजस्वी का यह बयान उस समय आया है जब कांग्रेस ने हाल ही में 'जिताऊ सीटों' की मांग की थी। यह माना जा रहा है कि तेजस्वी इस बात से नाराज हैं कि उन्हें अब तक महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया गया है। इस पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या तेजस्वी अब राहुल गांधी पर सीएम उम्मीदवार घोषित करने का दबाव बना रहे हैं?


कांग्रेस की दखल से नाराजगी?

तेजस्वी यादव और RJD की लंबे समय से यह कोशिश रही है कि उन्हें बिहार में आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए, ताकि जनता के सामने एक स्पष्ट चेहरा हो। 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान तेजस्वी ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही थी, यह संकेत देते हुए कि बदले में कांग्रेस उन्हें बिहार की कमान सौंपे। लेकिन राहुल गांधी की ओर से इस पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है।


सीट बंटवारे का पेच बना बड़ा सिरदर्द

महागठबंधन में सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है। कांग्रेस, वीआईपी, हेमंत सोरेन की पार्टी और पशुपति पारस जैसे घटक दलों को एडजस्ट करने के लिए आरजेडी और कांग्रेस दोनों को सीटें छोड़नी होंगी। RJD के लिए यह चुनौतीपूर्ण है क्योंकि पिछले चुनाव में सबसे अधिक सीटों पर उसी ने चुनाव लड़ा था।


कांग्रेस इस बार आरजेडी की लालू यादव की जिताऊ सीटें अपने पास रखने की रणनीति से सहमत नहीं है और इसका सार्वजनिक विरोध किया है। इसी संदर्भ में तेजस्वी का यह बयान सामने आया है, जो राजनीतिक हलकों में यह संकेत देता है कि वे अब दबाव की राजनीति में उतर आए हैं।


क्या बयान रणनीति का हिस्सा है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह बयान एक सोची-समझी रणनीति है। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि आरजेडी अब भी महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और नेतृत्व उसी के हाथ में रहना चाहिए। इस बयान से न केवल कांग्रेस पर दबाव बढ़ा है, बल्कि अन्य सहयोगी दलों को भी यह संकेत मिला है कि तेजस्वी आरजेडी की साख से कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।