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बिहार चुनाव 2025: राजद में अचानक बदलाव से बढ़ी राजनीतिक हलचल

बिहार चुनाव 2025 के लिए राजद में अचानक राजनीतिक हलचल मची है। लालू प्रसाद यादव द्वारा उम्मीदवार सिंबल बांटने के बाद, तेजस्वी यादव के लौटने पर सभी सिंबल वापस ले लिए गए। इस घटनाक्रम ने राजद के अंदर और बाहर अटकलों को जन्म दिया है। जानें इस बदलाव के पीछे की कहानी और क्या है राजनीतिक विश्लेषकों की राय।
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बिहार चुनाव 2025: राजद में अचानक बदलाव से बढ़ी राजनीतिक हलचल

बिहार चुनाव 2025 में राजद की गतिविधियाँ

Bihar Election 2025: बिहार में आगामी चुनावों को लेकर राजद (RJD) में अचानक हलचल देखने को मिल रही है। खबरें आ रही हैं कि लालू प्रसाद यादव ने कई नेताओं को उम्मीदवार सिंबल वितरित किए, जिनमें मनेर विधायक भाई वीरेंद्र, परबत्ता से डॉ संजीव, मटिहानी से बोगो सिंह और संदेश से अरुण यादव के बेटे शामिल थे। इस दौरान सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी वायरल हुईं।


हालांकि, जैसे ही तेजस्वी यादव दिल्ली से लौटे, नेताओं को रात में बुलाया गया और सभी से सिंबल वापस ले लिए गए। इस अप्रत्याशित बदलाव ने राजद के कार्यकर्ताओं और नेताओं में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। राजद के नेताओं ने सिंबल वापस लेने के कारणों पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।


सिंबल वितरण पर पार्टी की प्रतिक्रिया

'किसी को सिंबल नहीं दिया गया'


पार्टी के वरिष्ठ नेता अली अशरफ फातमी ने कहा कि 'किसी को सिंबल नहीं दिया गया, जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं, वे पुराने चुनाव की हो सकती हैं या AI द्वारा बनाई गई हैं। लालू जी ने किसी को सिंबल नहीं दिया।' मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र और मटिहानी के पूर्व विधायक बोगो सिंह भी देर रात राबड़ी आवास पहुंचे, लेकिन बाहर आने के बाद उन्होंने केवल यही कहा कि वे नेताओं से मुलाकात करने आए थे।


राबड़ी आवास पर राजनीतिक चर्चाएँ

राबड़ी आवास पर राजनीतिक कयासबाजी


रातभर राबड़ी देवी के आवास के बाहर राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रही। कार्यकर्ताओं के बीच कांग्रेस से गठबंधन टूटने और नए गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा चल रही थी। लगभग ढाई बजे राजद के राज्यसभा सांसद संजय यादव राबड़ी आवास से बाहर निकले। उनके साथ पशुपति पारस के भतीजे पूर्व सांसद प्रिंस पासवान भी थे, जिन्होंने पार्टी के विलय से इनकार किया था। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में नई सियासी संभावनाओं और गठबंधन की अटकलों को जन्म दिया।


हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सिंबल अचानक क्यों वापस लिए गए, लेकिन इस घटना ने बिहार चुनाव को लेकर राजद के अंदर और बाहर राजनीतिक गतिविधियों को और तेज कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे तेजस्वी यादव के लौटने और नेतृत्व को पुनः व्यवस्थित करने की प्रक्रिया से जोड़कर देख रहे हैं।