बिहार चुनाव आयोग के फैसले पर तेजस्वी यादव का तीखा हमला

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उठे सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव के आगमन से पहले, चुनाव आयोग के एक निर्णय ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। आयोग ने मतदाताओं के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की है, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। आज, INDIA गठबंधन के नेताओं ने राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार राज्य चुनाव आयोग से मुलाकात की। इस बैठक के बाद, तेजस्वी यादव ने अपनी पत्नी का उदाहरण देते हुए मीडिया के सामने अपनी चिंताएं व्यक्त की।
तेजस्वी यादव का आयोग से मुलाकात के बाद का बयान
राज्य चुनाव आयोग से मिलने के बाद, तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने आयोग के समक्ष उन मुद्दों को उठाया जिन पर उन्हें आपत्ति थी। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण कई क्षेत्रों में नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इस समय 8 करोड़ लोगों की वोटर लिस्ट को फिर से बनाना संभव नहीं है। 4-5 करोड़ लोग बिहार से बाहर रह रहे हैं, उनका क्या होगा?
तेजस्वी ने कहा कि यदि ये लोग वापस आते हैं, तो उन्हें खुद का खर्च उठाकर आना होगा। क्या रेलवे की क्षमता इतनी है कि वह इतनी बड़ी संख्या में लोगों की यात्रा की व्यवस्था कर सके? उन्होंने आयोग से अनुरोध किया कि दस्तावेजों की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, जिसमें आधार कार्ड, जॉब कार्ड, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड को भी स्वीकार किया जाए।
डॉक्यूमेंट्स की कमी पर तेजस्वी का बयान
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जो दस्तावेज मांगे गए हैं, वे अधिकांश बिहारवासियों के पास नहीं हैं। उनका मानना है कि 70 से 80 प्रतिशत लोगों की समस्याएं तभी हल होंगी जब आधार कार्ड, जॉब कार्ड, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड को भी स्वीकार किया जाएगा। तेजस्वी ने अपनी पत्नी का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी पत्नी दिल्ली की निवासी हैं और पिछली बार तीन महीने पहले वोटर आईडी बनवाने के लिए आधार कार्ड का उपयोग किया था। उन्होंने सवाल उठाया कि इस बार आधार कार्ड को दस्तावेजों की सूची से क्यों हटाया गया है?
जब तेजस्वी से आयोग के जवाब के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव आयोग को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, बल्कि केवल सुनने और उसे आगे बढ़ाने का अधिकार है। निर्णय लेने का अधिकार केवल दिल्ली में है और यह किसके द्वारा लिया जाता है, यह सभी को पता है।