बिहार चुनाव: तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद का चेहरा अपनाया

बिहार चुनाव की नई रणनीति
बिहार का आगामी चुनाव इस बार काफी रोचक होने की उम्मीद है। भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी जनता दल (यू) द्वारा 2005 से पहले के बिहार की याद दिलाई जा रही है, जिसमें यह चेतावनी दी जा रही है कि महागठबंधन को वोट देने पर जंगल राज लौट आएगा। लालू प्रसाद की तस्वीरों को जंगल राज के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह ध्यान देने योग्य है कि भाजपा और जदयू पिछले 25 वर्षों से लालू प्रसाद की छवि का उपयोग कर चुनाव लड़ते आ रहे हैं।
हाल के चुनावों में तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद का चेहरा कम दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन इस बार वह खुलकर उनके चेहरे का उपयोग कर रहे हैं। पटना में राजद के नेताओं द्वारा लगाए गए पोस्टरों और होर्डिंग्स में लालू प्रसाद की तस्वीरें और 'आई लव लालू' का नारा prominently दिखाई दे रहा है।
राजद की यह नई रणनीति इसलिए आई है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह चुनाव मंडल की राजनीति और लालू प्रसाद की विरासत को पुनः स्थापित करने का अवसर है। नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति कमजोर हो रही है, और अन्य मंडल के नेता भी अब राजनीति से विदा ले चुके हैं। इस चुनाव में यह तय होगा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत का अगला वारिस कौन होगा।
तेजस्वी को विश्वास है कि नीतीश कुमार का कोई उत्तराधिकारी नहीं है, जिससे पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच यह संदेश फैल रहा है कि भाजपा नीतीश के बाद अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। इसलिए, लालू प्रसाद का चेहरा राजद को वोट दिलाने में मदद कर सकता है। राजद को अपने वोट बैंक में छह से सात प्रतिशत वोट जोड़ने की आवश्यकता है, जिससे वह चुनाव जीत सके। यदि भाजपा ने नीतीश को किनारे करने की गलती की, तो सत्ता उनके हाथ से फिसल सकती है।