बिहार चुनाव: पीएम मोदी और पप्पू यादव की मुलाकात ने बढ़ाई राजनीतिक अटकलें

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी
Bihar Chunav: बिहार में विधानसभा चुनाव इस वर्ष होने वाले हैं। पीएम मोदी सोमवार को पूर्णिया में थे, जहां सांसद पप्पू यादव भी उपस्थित थे। इन दोनों के बीच हुई हल्की बातचीत ने राजनीतिक अटकलों को जन्म दिया है। पूर्णिया एयरपोर्ट के उद्घाटन के अवसर पर यह दृश्य विपक्ष के लिए चिंता का विषय बन गया है, जबकि एनडीए समर्थक इसे विकास की जीत मानते हैं। इस मुलाकात का असली मतलब क्या है?
प्रधानमंत्री का विकास कार्यक्रम
15 सितंबर को पीएम मोदी बिहार आए और पूर्णिया में लगभग 36,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इनमें से पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन सबसे महत्वपूर्ण था, जो सीमांचल क्षेत्र की एक पुरानी मांग को पूरा करता है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए के अन्य प्रमुख नेता भी शामिल थे। इसी दौरान, पप्पू यादव मंच पर आए और पीएम मोदी के पास जाकर उनसे बातचीत की। वीडियो में देखा जा सकता है कि पप्पू यादव ने पीएम के कान में कुछ कहा, जिस पर मोदी जी मुस्कुराए और हल्का ठहाका लगाया। पप्पू यादव भी उत्साहित नजर आए और मंच से विकास कार्यों की प्रशंसा की।
सोशल मीडिया पर चर्चा
इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि एक निर्दलीय सांसद, जो खुद को कांग्रेस और महागठबंधन का समर्थक बताता है, एनडीए के मंच पर क्यों आया? बीजेपी नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह कोई चुनावी रैली नहीं थी, बल्कि विकास कार्यक्रम था, इसलिए स्थानीय सांसद की उपस्थिति स्वाभाविक है। लेकिन विपक्ष के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है।
पप्पू यादव की राजनीतिक पृष्ठभूमि
पप्पू यादव की राजनीतिक यात्रा
पप्पू यादव बिहार की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं, विशेषकर सीमांचल और कोशी क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है। हाल के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पूर्णिया सीट पर निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की, जो बिहार की सबसे चुनौतीपूर्ण सीटों में से एक मानी जाती है। यहां राजद की बीमा भारती और एनडीए के उम्मीदवार के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था, लेकिन पप्पू यादव ने अपनी जनाधार के बल पर जीत हासिल की। तेजस्वी यादव ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था, फिर भी पप्पू की जीत ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।
महागठबंधन में स्थिति
महागठबंधन में नहीं मिली जगह
चुनाव के बाद पप्पू यादव ने कांग्रेस के करीब जाने की कोशिश की। वे खुद को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का 'सिपाही' बताते रहे, लेकिन महागठबंधन में उनकी स्थिति को लेकर असमंजस बना हुआ है। राजद के साथ मतभेद और गठबंधन की रणनीति ने उन्हें अलग-थलग महसूस कराया। ऐसे में, एनडीए के मंच पर उनकी उपस्थिति ने सवाल उठाए हैं। क्या वे किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं, या यह सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर बातचीत थी?
विश्लेषकों की राय
वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि पप्पू यादव जैसे निर्दलीय नेता का जनाधार एनडीए या महागठबंधन दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। एक प्रमुख मीडिया चैनल के अनुसार, पीएम मोदी ने मंच पर पप्पू को सम्मान दिया, क्योंकि वे जानते हैं कि सीमांचल में उनकी पकड़ मजबूत है। यदि कोई निर्दलीय जीतता है, तो उसका वोट बैंक गठबंधनों के लिए चुनौती बन सकता है।