बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर असहमति गहराई

बिहार चुनाव की तैयारी में महागठबंधन की चुनौतियाँ
Bihar Election: बिहार में दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन की तिथि नजदीक आने के बावजूद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है, जिससे अब तक अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 122 सीटों पर दूसरे चरण का चुनाव होना है, लेकिन महागठबंधन के भीतर असहमति खुलकर सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन कुछ सीटों पर मित्रवत मुकाबले की रणनीति पर भी विचार कर रहा है.
कांग्रेस और राजद के बीच उम्मीदवारों की स्थिति
शनिवार को कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की, जिसमें पांच नए नाम जोड़े गए हैं। इससे पहले, कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। दूसरी ओर, राजद ने अब तक कोई औपचारिक सूची नहीं दी है, लेकिन अनौपचारिक रूप से कई उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए गए हैं और कम से कम 60 सीटों पर नामांकन दाखिल हो चुका है.
राजेश राम का तेजस्वी यादव पर आरोप
राजेश राम ने तेजस्वी यादव पर गठबंधन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया
गठबंधन में मतभेद तब और बढ़ गए जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने राजद नेता तेजस्वी यादव पर अपना रुख बदलने और गठबंधन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि AICC बैठक में तेजस्वी सहयोगी के रूप में शामिल हुए थे, लेकिन अब उनके कदम समझौते के खिलाफ नजर आ रहे हैं। राम ने यह भी कहा कि राजद ने गठबंधन में दलित प्रतिनिधित्व को कमजोर किया है.
कुटुंबा सीट पर विवाद
विवाद तब और बढ़ गया जब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कुटुंबा सीट से राजद ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ सुरेश पासवान को उम्मीदवार बना दिया। हालांकि, दोनों नेताओं ने अभी नामांकन दाखिल नहीं किया है। इस सीट पर मतदान 11 नवंबर को होगा.
राजद का कांग्रेस को जवाब
राजद ने कहा- कांग्रेस को जमीनी हकीकत समझनी चाहिए
राजद की ओर से राम की टिप्पणी पर सीधा जवाब नहीं दिया गया, लेकिन पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पार्टी आलाकमान स्थिति पर नजर रखे हुए है और गठबंधन के भीतर की सभी चिंताओं का समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को यह समझना होगा कि राजद मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में चुनाव लड़ती है, जबकि कांग्रेस का दायरा राष्ट्रीय है.
महागठबंधन की खींचतान का NDA पर प्रभाव
महागठबंधन में जारी खींचतान का NDA को मिल सकता है फायदा
महागठबंधन के भीतर जारी इस खींचतान से यह स्पष्ट हो गया है कि सीट बंटवारे पर सहमति न बनने से विपक्षी खेमे में अंदरूनी कलह गहराता जा रहा है। यह स्थिति आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष की रणनीति पर असर डाल सकती है, जिसका सीधा फायदा सत्तारूढ़ NDA को मिल सकता है.