बिहार चुनाव में NDA के भीतर सीट बंटवारे की जंग: चिराग और मांझी की मांगें

NDA में सीट बंटवारे की खींचतान
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। चिराग पासवान की चुप्पी और जीतन राम मांझी के कड़े रुख से यह स्पष्ट होता है कि गठबंधन में तालमेल बिगड़ रहा है। चिराग पासवान अपनी पार्टी, लोजपा (रामविलास) के लिए 25 से 30 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि मांझी ने 15 सीटों से कम पर समझौता न करने की चेतावनी दी है।
चिराग पासवान की सीटों की मांग
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान की इच्छा है कि उनकी पार्टी को 25 से 30 सीटें आवंटित की जाएं। वे विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव में जीते गए पांच क्षेत्रों हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, नवादा और जमुई से दो-दो विधानसभा सीटें चाहते हैं। इसके अलावा, लोजपा (रामविलास) के वरिष्ठ नेताओं के लिए सुरक्षित सीटें भी मांगी गई हैं।
हालांकि, बीजेपी ने अभी तक 22 से 25 सीटों की पेशकश की है, जो चिराग के लिए संतोषजनक नहीं है। चिराग ने बातचीत की जिम्मेदारी अपने बहनोई अरुण भारती और प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को सौंपी है, जिससे उनकी मांग और कड़ी हो गई है। उनका ध्यान केवल संख्या पर नहीं, बल्कि उन सीटों पर भी है जहां पार्टी की जीत की संभावना अधिक हो। इस बीच, चिराग पासवान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बीजेपी को चेतावनी दी है। उन्होंने लिखा, "जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो."
पापा हमेशा कहा करते थे —
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2025
"जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत।
जीना है तो मरना सीखो,
कदम-कदम पर लड़ना सीखो।"#ramvilaspaswan pic.twitter.com/9kcc2VswAo
मांझी की मांग
वहीं, जीतन राम मांझी भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर अड़े हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्हें 15 सीटों से कम स्वीकार नहीं है। मांझी की पार्टी 'हम' पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थी और उन्हें केवल चार सीटें मिली थीं। इस बार वे दलित वोटबैंक और संगठन की मजबूती का हवाला देकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मांझी का कड़ा रुख भी गठबंधन के भीतर सीट वितरण प्रक्रिया को और जटिल बना रहा है।
"हो न्याय अगर तो आधा दो,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) October 8, 2025
यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल 15 ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम,
HAM वही ख़ुशी से खाएंगें,
परिजन पे असी ना उठाएँगे"
गठबंधन की मजबूती
बीजेपी के लिए यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है कि कैसे दोनों नेताओं को संतुष्ट करते हुए गठबंधन की एकता बनाए रखी जाए। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों के पास अपनी-अपनी ताकतें और वोट बैंक हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
बीजेपी के नेताओं का कहना है कि जल्द ही सीट बंटवारे का अंतिम फार्मूला जारी किया जाएगा, लेकिन अंदरखाने यह माना जा रहा है कि यदि चिराग की मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे बागी हो सकते हैं, जैसा कि 2020 के चुनाव में हुआ था।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि चिराग और मांझी दोनों का वोट बैंक प्रभावशाली है और यदि दोनों के बीच सामंजस्य टूटता है तो एनडीए की स्थिति कमजोर हो सकती है। इसलिए बीजेपी के सामने चुनौती है कि वह संतुलन बनाए रखे और दोनों नेताओं की मांगों को सम्मानजनक तरीके से पूरा करे।