बिहार चुनाव में चिराग पासवान की नई रणनीति से एनडीए की मुश्किलें बढ़ीं

चुनाव की तारीखों का ऐलान और चिराग की नई चाल
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बीच, खबरें आ रही हैं कि चिराग पासवान ने प्रशांत किशोर की पार्टी से संपर्क किया है। चिराग पासवान एनडीए में अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं, और उनके दल के सूत्रों का कहना है कि उनके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।
चिराग की मांगों से एनडीए पर दबाव
चिराग पासवान की पार्टी की नई रणनीति ने बिहार में एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सूत्रों के अनुसार, चिराग 45 से 54 सीटों पर अड़े हुए हैं। उनकी इस नई चाल ने एनडीए पर दबाव बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि चुनावों से पहले प्रशांत किशोर ने चिराग की तारीफ की थी। अब चिराग की पार्टी के इस कदम ने राज्य में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। 2020 में भी चिराग ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था, जिससे जेडीयू को नुकसान हुआ था।
चिराग की महत्वाकांक्षा और एनडीए की चुनौतियाँ
चिराग की राजनीतिक महत्वाकांक्षा अब केवल सीटों तक सीमित नहीं रह गई है। पटना की सड़कों पर उनके मुख्यमंत्री बनने के पोस्टर भी लगाए गए हैं। भाजपा के लिए चुनौती यह है कि जदयू भी बड़े भाई की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। दोनों दल 101-102 सीटों के बंटवारे के मूड में हैं। लेकिन चिराग के साथ-साथ जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे दलों की भी मांगें हैं। लोजपा (रामविलास) के साथ बंटवारा सबसे कठिन साबित हो रहा है। हालांकि, अमित शाह के संदेश के बाद उम्मीद है कि चिराग मान जाएंगे, लेकिन समाधान तक पहुंचना आसान नहीं होगा।
चिराग की पार्टी की हिस्सेदारी की मांग
चिराग पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलेगी। लोजपा के प्रवक्ता धीरेंद्र मुन्ना ने कहा कि सीटों के बंटवारे पर अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। जब उनसे पूछा गया कि चिराग का फोन नहीं लगने की बात सामने आ रही है, तो मुन्ना ने कहा कि फोन आउट ऑफ रीच हो सकता है, लेकिन उनके नेता संपर्क में हैं। चिराग ने पहले ही स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी को उचित हिस्सेदारी चाहिए।
एनडीए के घटक दलों की मांगें
बिहार एनडीए के दो प्रमुख घटक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड), अपनी-अपनी मांगें रख रहे हैं। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ-साथ जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा की भी अपनी डिमांड है।