बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की भूमिका पर विपक्ष की नई रणनीति

एनडीए में सीट बंटवारे के बाद की स्थिति
जैसे ही एनडीए ने सीट बंटवारे की घोषणा की, यह चर्चा शुरू हो गई कि भाजपा का लक्ष्य चुनाव के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने से रोकना है। इस बार भाजपा ने नीतीश को बड़े भाई का दर्जा नहीं दिया है, और दोनों दल समान संख्या में, यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। यह स्पष्ट है कि नीतीश का चुनावी प्रदर्शन भाजपा या राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर भी कमजोर रहता है, क्योंकि वे अपने वोट सहयोगियों को ट्रांसफर कर देते हैं, लेकिन सहयोगी उनके लिए ऐसा नहीं करते। इस स्थिति में भाजपा और चिराग मिलकर अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं, जिससे चुनाव के बाद नीतीश को मुख्यमंत्री बनने से रोका जा सके। इस प्रचार के साथ ही विपक्ष ने संकेत दिया है कि उनका हमला नीतीश पर नहीं होगा या कम होगा।
विपक्ष की नई रणनीति
सूत्रों के अनुसार, राजद और कांग्रेस बिहार सरकार और नीतीश कुमार के बजाय केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। राजद नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही यह कहना शुरू कर दिया है कि गुजरात के लोग बिहार की सरकार बनाने आ रहे हैं। वे बिहारी उप राष्ट्रीयता का मुद्दा भी उठा रहे हैं और नीतीश के प्रति सकारात्मकता दिखाकर उनके समर्थकों के वोट हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा, यह संभावना भी जताई जा रही है कि यदि चुनाव के बाद भाजपा और चिराग नीतीश को किनारे करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें महागठबंधन की ओर लाया जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि नीतीश कुमार सही तरीके से सोचते हैं, तो वे भाजपा को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना अधिक पसंद करेंगे। इस सोच के साथ विपक्ष उनकी ओर सकारात्मकता दिखाने की रणनीति बना रहा है।