बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर और सांसद संजय जायसवाल के बीच विवाद अदालत पहुंचा

बिहार चुनाव में विवाद की शुरुआत
बिहार चुनाव: बिहार की राजनीतिक हलचलों में आरोपों का सिलसिला तेज हो गया है। जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर और पश्चिम चंपारण से भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल के बीच का विवाद अब न्यायालय तक पहुंच चुका है। सांसद जायसवाल ने पीके पर लगाए गए कथित झूठे आरोपों के लिए 125 करोड़ रुपये के हर्जाने के साथ मानहानि का सिविल मुकदमा दायर किया है। यह मामला बेतिया सिविल कोर्ट में शनिवार को दर्ज किया गया और इसकी पहली सुनवाई 8 अक्टूबर, बुधवार को होने की संभावना है.
वकीलों की टीम और आरोप
इस मामले में सांसद जायसवाल के पक्ष से पटना हाईकोर्ट के वकील अमरेंद्र नाथ वर्मा सहित बेतिया कोर्ट के वकील राजेश रंजन, विवेक बिहारी, राजन चतुर्वेदी और चंद्रिका प्रसाद कुशवाहा ने हस्ताक्षर किए हैं। वकील अमरेंद्र नाथ वर्मा ने बताया कि पीके ने हाल ही में एक सार्वजनिक सभा में सांसद जायसवाल पर गंभीर और अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। उन्होंने जायसवाल को "टूटा-फूटा नेता" करार देते हुए यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने पेट्रोल पंप के व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखते हुए छावनी फ्लाईओवर (आरओबी) के निर्माण का मार्गरेखा बदलवा दिया। वर्मा ने कहा, "ये आरोप न केवल बेबुनियाद हैं, बल्कि सांसद की सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले हैं."
पेट्रोल चोर का आरोप
यह विवाद पिछले महीने से बढ़ा, जब प्रशांत किशोर ने बिहार के एनडीए नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। सांसद जायसवाल पर विशेष रूप से डीजल घोटाले का आरोप लगाया गया, जिसमें सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का जिक्र किया गया। सांसद ने प्रशांत किशोर को लीगल नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उक्त पेट्रोल पंप उनके भाई का है। लेकिन इसके बाद उसी पेट्रोल पंप के बेतिया नगर निगम को पेट्रोल आपूर्ति में कथित घोटाले का आरोप सांसद पर लगाते हुए उन्हें पेट्रोल चोर तक कहा गया।
15 दिनों का अल्टीमेटम
जायसवाल ने कहा कि प्रशांत किशोर राजनीति को अपना धंधा बना चुके हैं। वे जहां भी जाते हैं, वहां स्थानीय नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर अपनी छवि को चमकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने पीके को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया था कि या तो आरोपों के सबूत पेश करें या सार्वजनिक माफी मांगें, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। चूंकि ऐसा नहीं हुआ, इसलिए मुकदमा दायर किया गया.