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बिहार चुनाव में भाजपा की ध्रुवीकरण रणनीति: नीतीश कुमार का नया मोड़

बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की ध्रुवीकरण रणनीति पर चर्चा करते हुए, नीतीश कुमार के बदलते रुख को समझना महत्वपूर्ण है। पहले हिंदू-मुस्लिम राजनीति से दूर रहने वाले नीतीश अब भाजपा के साथ मिलकर नई रणनीतियों को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में एक मुस्लिम कार्यक्रम में उनकी टोपी पहनने से इनकार करने की घटना ने इस बदलाव को और स्पष्ट किया है। इस लेख में जानें कि कैसे यह राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है और इसके पीछे की संभावनाएं क्या हैं।
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बिहार चुनाव में भाजपा की ध्रुवीकरण रणनीति: नीतीश कुमार का नया मोड़

भाजपा की ध्रुवीकरण की कोशिशें

भारतीय जनता पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और गुजरात की तरह ध्रुवीकरण की राजनीति को अपनाने की योजना बना रही है। हालांकि, नीतीश कुमार ने पहले इस प्रकार की राजनीति का विरोध किया है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा ने उन्हें भी इस रणनीति में शामिल कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, बिहार में 80-20 का चुनावी समीकरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में, नीतीश कुमार एक प्रमुख मुस्लिम संगठन इमारत ए शरिया के कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उन्हें मौलानाओं द्वारा टोपी पहनाई गई। लेकिन उन्होंने इसे पहनने से मना कर दिया और अपने मंत्री जमा खां को टोपी पहनने के लिए दी। यह घटना नरेंद्र मोदी के गुजरात में मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार करने की याद दिलाती है।


नीतीश का बदलता रुख

यह सोचने वाली बात है कि नीतीश कुमार ने कभी भी हिंदू-मुस्लिम राजनीति को नहीं अपनाया। वे मुख्यमंत्री आवास में इफ्तार की दावतें देते थे और मुस्लिम टोपी पहनते थे। उन्होंने हज हाउस और शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए भूमि आवंटित की और उनके निर्माण में मदद की। लेकिन अब वे मुस्लिम टोपी पहनने से परहेज कर रहे हैं। दूसरी ओर, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मुंगेर के एक महत्वपूर्ण मुस्लिम संस्थान में जाकर वहां की मौलाना के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। यह तस्वीरें राजीव गांधी के समय की याद दिलाती हैं, जब वे भी इसी तरह के कार्यक्रमों में शामिल होते थे।