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बिहार चुनाव में मतदान प्रतिशत: क्या यह बदलाव का संकेत है?

बिहार चुनाव में मतदान प्रतिशत में वृद्धि ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह बदलाव का संकेत है या फिर सत्ता में स्थिरता का? इस लेख में हम मतदान प्रतिशत के पीछे के कारणों, महिला और युवा मतदाताओं की भागीदारी, और नई राजनीतिक ताकतों के प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। जानें कि क्या यह नीतीश कुमार की सरकार को पुनः सत्ता में लाने का संकेत है।
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बिहार चुनाव में मतदान प्रतिशत: क्या यह बदलाव का संकेत है?

मतदान प्रतिशत का विश्लेषण

मतदाता टर्नआउट की व्याख्या करने के लिए एक पारंपरिक दृष्टिकोण है, जो यह मानता है कि कम मतदान का अर्थ है सत्ता में स्थिरता और अधिक मतदान का अर्थ है सत्ता परिवर्तन। हालांकि, यह परिभाषा कई बार गलत साबित हो चुकी है। सीएसडीएस के संजय कुमार के अनुसार, 2020 तक विभिन्न राज्यों में हुए 332 विधानसभा चुनावों में से 188 चुनावों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा, जिसमें से 89 सरकारें पुनः चुनी गईं। इसी तरह, 144 चुनावों में मतदान प्रतिशत में कमी आई, लेकिन 56 बार सरकारें फिर से बनीं।


बिहार के चुनावी परिणामों पर मतदान का प्रभाव

इसका तात्पर्य है कि मतदान प्रतिशत कोई निश्चित पैटर्न नहीं दर्शाता। अब सवाल यह है कि क्या बिहार में बढ़ा मतदान प्रतिशत चुनाव परिणामों पर कोई प्रभाव डालेगा? ध्यान दें कि 2010 के चुनाव में भी मतदान प्रतिशत में 6.5% की वृद्धि हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप नीतीश कुमार की सरकार को ऐतिहासिक बहुमत मिला था। इस बार बिहार में लगभग 67% मतदान हुआ है, जो पिछले चुनाव के 57% से 10% अधिक है।


मतदाता सूची की सफाई का प्रभाव

इस रिकॉर्ड मतदान के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, मतदाता सूची की सफाई का कार्य हुआ है, जिसमें लगभग 70 लाख नाम हटाए गए हैं। यदि ये नाम नहीं हटाए जाते, तो बिहार में कुल 8.12 करोड़ मतदाता होते। इस बार लगभग 5 करोड़ लोगों ने वोट डाला है। यदि हम 8.12 करोड़ पर प्रतिशत निकालें, तो यह लगभग 62% होगा, जबकि इस बार मतदान का प्रतिशत 67% है।


नई राजनीतिक ताकतों का प्रभाव

जब चुनाव में नई राजनीतिक ताकतें सक्रिय होती हैं, तो मतदान का प्रतिशत बढ़ता है। इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने चुनावी मैदान में कदम रखा, जिसने विकास, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को उठाया। इसके अलावा, छठ के बाद पहले चरण की वोटिंग में प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण रही।


महिला मतदाताओं की भागीदारी

महिला मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक रही है। इस बार महिला मतदाताओं ने कुल मतदान का 50.4% हिस्सा लिया, जबकि पुरुषों का हिस्सा 49.6% रहा। यह दर्शाता है कि महिलाओं ने मतदान में अधिक सक्रियता दिखाई है।


युवा मतदाताओं का योगदान

बिहार में युवा मतदाताओं की संख्या भी महत्वपूर्ण है। 18 से 29 साल के लगभग 1.77 करोड़ मतदाता हैं। प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव ने इन युवाओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न वादे किए हैं।


निष्कर्ष

हालांकि, केवल मतदान प्रतिशत के आधार पर चुनाव परिणामों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। यह स्पष्ट है कि मतदान बढ़ने के कारणों की गहराई से जांच की जानी चाहिए। क्या यह नीतीश कुमार की सरकार को पुनः सत्ता में लाने का संकेत है? इस पर चर्चा आगे की जाएगी।