बिहार चुनाव में महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे का तनाव बढ़ा

बिहार चुनाव सीट बंटवारे की स्थिति
बिहार चुनाव में सीट बंटवारे का तनाव: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है। कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यदि सोमवार तक इस मुद्दे का समाधान नहीं होता है, तो वह अपनी 60 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा स्वयं कर देगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवारों के नाम लगभग तय हो चुके हैं और केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक
नई दिल्ली में आज कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम, प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, विधानसभा दल के नेता शकील अहमद खान और विधान परिषद दल के नेता मदन मोहन झा शामिल होंगे। बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा तैयार की गई 74 सीटों के पैनल पर चर्चा की जाएगी। यदि गठबंधन में सहमति नहीं बनती है, तो कांग्रेस कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय ले सकती है।
निर्णय लेने की आवश्यकता
पहले चरण के नामांकन में अब केवल पांच दिन शेष हैं। ऐसे में उम्मीदवारों को प्रचार की तैयारी के लिए पर्याप्त समय देने के लिए पार्टी को जल्द निर्णय लेना आवश्यक हो गया है। कांग्रेस पहले लगभग 55 सीटों पर समझौते के लिए तैयार थी, लेकिन वह अपनी पसंद की सीटें चाहती थी, जिस पर राजद ने असहमति जताई। विवाद की जड़ कहलगांव, राजापाकर और वैशाली जैसी पारंपरिक सीटें हैं, जिन पर राजद ने दावा किया है।
कांग्रेस का नया प्रस्ताव
कांग्रेस ने एक नया प्रस्ताव पेश किया है कि जितनी प्रतिशत सीटें वह छोड़ेगी, उतनी ही सीटें राजद को भी छोड़नी होंगी। यदि कांग्रेस का कोटा घटता है, तो उसे अपनी पसंद की सीटें दी जानी चाहिए। राजद और कांग्रेस के बीच यह खींचतान महागठबंधन के अन्य सहयोगियों जैसे वीआईपी और वाम दलों की सीट मांग से और बढ़ गई है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन में घटक दलों की संख्या बढ़ने से सभी को कुछ न कुछ त्याग करना होगा।
प्रदर्शन में सुधार की योजना
पिछले चुनाव में राजद ने 144 सीटों और कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार कांग्रेस अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की योजना बना रही है और सीटों की संख्या घटाकर भी अपनी प्रभावी उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहती है। लेकिन यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो महागठबंधन में दरार और गहरी हो सकती है।