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बिहार चुनाव में महागठबंधन में उठे विवाद, शांतनु यादव ने किया बगावत का ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद गहरा गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के बेटे शांतनु यादव ने आरजेडी पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए बगावत का ऐलान किया है। उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने का संकल्प लिया है। इस बीच, उनकी बहन सुभाषिनी ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद महागठबंधन की आंतरिक कलह को और बढ़ा सकता है।
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बिहार चुनाव में महागठबंधन में उठे विवाद, शांतनु यादव ने किया बगावत का ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का संकट

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि बीत चुकी है, लेकिन महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के बेटे शांतनु यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पर गंभीर आरोप लगाते हुए बगावत का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए किसी की अनुमति नहीं लेंगे.


शांतनु यादव की नाराजगी और बगावत

शांतनु यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, "हम राजनीति में शोर मचाने या झांसे देने के लिए नहीं आए हैं. हम अपने पिताजी की विरासत को मजबूती से आगे बढ़ाएंगे, चाहे हालात जैसे भी हों." यह बयान मधेपुरा विधानसभा सीट से टिकट न मिलने की निराशा को दर्शाता है, जहां शरद यादव ने लंबे समय तक अपनी राजनीतिक पकड़ बनाई थी. आरजेडी ने इस सीट पर किसी अन्य उम्मीदवार को नामित करने का निर्णय लिया है, जिससे शांतनु को बड़ा झटका लगा है.


सुभाषिनी शरद यादव की प्रतिक्रिया

‘षड्यंत्र इनके खिलाफ जनता रचेगी’
शांतनु यादव के बाद उनकी बहन और कांग्रेस नेता सुभाषिनी शरद यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सगे होंगे? जो अपने परिवार के प्रति वफादार नहीं, वो किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं? यह विश्वासघात की पराकाष्ठा है.' हालांकि, उन्होंने किसी विशेष नेता का नाम नहीं लिया.


विलय का वादा और टूटता भरोसा

शरद यादव, जो जननायक जनता दल (लोकतांत्रिक) के संस्थापक थे, ने 2023 में अपनी पार्टी का आरजेडी में विलय किया था. यह निर्णय समाजवादी विचारधारा को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया था. विलय के समय लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने शांतनु को मधेपुरा से चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया था. शांतनु ने बताया कि पिता के निधन के बाद उन्होंने मधेपुरा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाई, लेकिन अब जब नामांकन का समय समाप्त हो चुका है, वह आरजेडी के फैसले से निराश हैं.


महागठबंधन की आंतरिक कलह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद महागठबंधन की आंतरिक कलह को और बढ़ा सकता है. मधेपुरा यादव बहुल क्षेत्र है, जहां शरद यादव का लंबे समय तक प्रभाव रहा. 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव खुद आरजेडी के टिकट पर यहां से लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. शांतनु की बगावत से न केवल आरजेडी का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है, बल्कि यह विपक्षी दल भाजपा-जदयू गठबंधन को भी लाभ पहुंचा सकता है.