बिहार चुनाव में वोटर लिस्ट विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान
बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2002 में भी यह प्रक्रिया 31 दिन के भीतर पूरी की गई थी। इस बार भी इसी समय सीमा में प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी योग्य मतदाताओं के नाम सूची में शामिल किए जाएंगे।
मतदाता सूची का अद्यतन
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि कानून के अनुसार, हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 2003 के बाद मतदाता सूची और संबंधित विवरणों की गहन जांच नहीं की गई थी, जो एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची की प्रामाणिकता को लेकर शिकायतें की हैं और अद्यतन की मांग की है। इस कार्य में 1 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय अधिकारी सभी दलों के सहयोग से लगे हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
#WATCH | Firozabad, UP: On allegations of Congress on discrepancies in Bihar’s voter list, Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar says, “As part of law, before every election, the voter list needs to be updated… A detailed investigation of the voter list and all details of… pic.twitter.com/QQeZpqFZtO
— Media Channel (@MediaChannel) July 5, 2025
बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया के लिए समय सही नहीं है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में INDIA के नेताओं ने हाल ही में बिहार राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और मांग की कि आधार कार्ड को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
विपक्ष की चिंताएँ
राजस्थान के दौसा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पायलट ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए इस कदम से गंभीर संदेह उत्पन्न होते हैं। विपक्षी दलों के एक समूह ने उनसे मुलाकात की और सवाल पूछे, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।