बिहार चुनाव: राजनीतिक दलों की सीटों की मांग और सम्मान का सवाल

बिहार की राजनीतिक पार्टियों की सीटों की मांग
बिहार में राजनीतिक दलों का यह कहना है कि उन्हें चुनाव में सम्मानजनक सीटें चाहिए। चाहे वह भाजपा और जदयू के नेतृत्व वाला एनडीए हो या राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन, सभी का एक ही राग है कि उन्हें सम्मानजनक सीटें चाहिए। हालांकि, एक-दो व्यक्तियों को छोड़कर कोई यह स्पष्ट नहीं कर रहा है कि कितनी सीटें वास्तव में सम्मानजनक मानी जाएंगी। यदि उन्हें उतनी सीटें नहीं मिलतीं, तो क्या वे गठबंधन को छोड़ देंगे? एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि उनकी पार्टी को 15 से 20 सीटें चाहिए, और यदि इतनी सीटें नहीं मिलतीं, तो वे एक सौ सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। लेकिन, यह देखना होगा कि वे सम्मान के साथ कैसे समझौता करते हैं।
चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की स्थिति
चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा भी सम्मानजनक सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन वे यह नहीं बता रहे हैं कि उनके लिए कितनी सीटें सम्मानजनक होंगी। चिराग पासवान के पार्टी सांसद और उनके बहनोई अरुण भारती का कहना है कि एनडीए में रहते हुए उनकी पार्टी ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि अलग होकर 137 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस प्रकार, उनके लिए सम्मानजनक संख्या वही होगी। लेकिन, 30 से अधिक सीटों की संभावना नहीं दिख रही है। इसी तरह, उपेंद्र कुशवाहा भी दहाई में सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी संभावना भी कम है। दूसरी ओर, महागठबंधन में मुकेश सहनी को 40 सीटें चाहिए, लेकिन उन्हें 25 से अधिक सीटें नहीं मिल पा रही हैं। कांग्रेस 70 सीटें मांग रही है, लेकिन किसी भी स्थिति में 55 से अधिक की संभावना नहीं है। इसलिए, इन सभी पार्टियों को अपने सम्मान से समझौता करना पड़ेगा।