बिहार चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल

आम आदमी पार्टी के आरोप
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवालों के बाद, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा हर चुनाव से पहले मतदाता सूचियों में गड़बड़ियां करवाती है, जिसमें चुनाव आयोग उसकी मदद करता है।
मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप
ढांडा ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में भी चुनावों से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। कहीं लाखों असली नाम हटाए गए, तो कहीं फर्जी नाम जोड़े गए और जातीय व क्षेत्रीय संतुलन को तोड़ने की कोशिश की गई। अब यह षड्यंत्र बिहार में भी दोहराया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिन मुद्दों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है, वही सवाल आम आदमी पार्टी और जनता लंबे समय से उठाती आ रही है। लेकिन आयोग और केंद्र सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया है।
विश्वास का संकट
देश में विश्वास का संकट उत्पन्न
चुनाव आयोग जैसी संस्था पर अब पूरे देश में विश्वास का संकट उत्पन्न हो गया है। यह वही संस्था है जिसे निष्पक्ष चुनावों की गारंटी देने की ज़िम्मेदारी दी जाती है। लेकिन बार-बार यह देखा गया है कि चुनाव से पहले गुप्त रूप से मतदाता सूचियों में बदलाव किए जाते हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
आम आदमी पार्टी की मांगें
आम आदमी पार्टी ने आयोग के समक्ष तीन मांगें रखी हैं। पहली, बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। दूसरी, इस पूरी प्रक्रिया की स्वतंत्र और न्यायिक जांच करवाई जाए। तीसरी, सभी राजनीतिक दलों को समयबद्ध व पारदर्शी जानकारी उपलब्ध कराई जाए, ताकि चुनाव में सभी की भागीदारी निष्पक्ष और विश्वसनीय बनी रहे।
चुनाव आयोग की जिम्मेदारी
चुनाव आयोग करे आचरण की समीक्षा
ढांडा ने कहा कि यदि चुनाव आयोग जनता का भरोसा खो देता है, तो लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर हो जाएगी। जनता को यह यकीन होना चाहिए कि उसका वोट सुरक्षित है और किसी राजनीतिक दल को अनुचित लाभ नहीं मिल रहा। यह अब केवल विपक्ष की चिंता नहीं, बल्कि आम जनता की भी मांग बन चुकी है कि चुनाव आयोग अपने आचरण की समीक्षा करे और निष्पक्षता की पुनः स्थापना करे।