बिहार में अगली सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनेगी: जदयू नेता

नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार का दावा
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता राजीव रंजन ने यह दावा किया है कि बिहार में अगली सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनेगी। उन्होंने कहा कि एनडीए के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे की स्थिति जल्द ही स्पष्ट हो जाएगी।
एनडीए और महागठबंधन की स्थिति
राजीव रंजन ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि यह एनडीए है, महागठबंधन नहीं, जहां अंतिम समय तक घटक दलों पर दबाव डाला जाता है। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मिलने से भी इनकार कर दिया।
महागठबंधन में बगावती सुर
उन्होंने बताया कि महागठबंधन में शामिल लेफ्ट और वीआईपी जैसे दलों से बगावती सुर सुनाई दे रहे हैं। जदयू में सब कुछ सामान्य है और जल्द ही सीट बंटवारे की घोषणा की जाएगी।
सीट बंटवारे की प्रक्रिया
राजीव रंजन ने कहा कि एनडीए के सभी घटक दलों के बीच बातचीत पूरी हो चुकी है और सीट बंटवारा तय हो गया है। इसका औपचारिक ऐलान जल्द ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कोई अप्रत्याशित स्थिति नहीं है, क्योंकि पहले भी आचार संहिता लागू होने के बाद सीट बंटवारे के फैसले लिए गए हैं। जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है और नीतीश कुमार ही अगले मुख्यमंत्री होंगे।
मुलायम सिंह का योगदान
उन्होंने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा कि वे वंचितों और पीड़ितों की आवाज थे। उन्होंने सामाजिक असमानता के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया। दुर्भाग्यवश, समाजवादी पार्टी उनके दिखाए रास्ते से भटक गई है। वर्तमान नेतृत्व को उनके मूल्यों पर लौटने की आवश्यकता है।
टीएमसी की हार की आशंका
टीएमसी के विरोध पर जदयू नेता ने कहा कि टीएमसी अपनी हार को भांप चुकी है और विधानसभा चुनाव में उनकी वापसी नहीं होने वाली। बिहार में एसआईआर प्रक्रिया सफल रही है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई वैध मतदाता छूटे नहीं और कोई अवैध मतदाता शामिल न हो।
बंगाल में अवैध मतदाताओं की संख्या
उन्होंने कहा कि बंगाल में अवैध मतदाताओं की संख्या अधिक है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार के बाद बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया लागू होगी।
एसआईआर प्रक्रिया का समापन
बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी को पर्याप्त अवसर दिए गए हैं और छूटे हुए नाम जोड़े जा चुके हैं। अब यह मुद्दा जमीनी स्तर पर नहीं है। विपक्षी नेताओं को भी यह बात पता है, यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट की ताजा सुनवाई तक किसी भी दल ने औपचारिक आपत्ति नहीं दर्ज की।