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बिहार में ओवैसी की पार्टी ने राजद को पीछे छोड़ा, मुस्लिम विधायकों की संख्या में कमी

बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राजद को पीछे छोड़ते हुए पांच मुस्लिम विधायकों को जीत दिलाई है। यह चुनावी परिणाम आजादी के बाद मुस्लिम विधायकों की सबसे कम संख्या को दर्शाता है। ओवैसी की पार्टी अब सीमांचल क्षेत्र में अपने आधार को बढ़ाने की योजना बना रही है, जहां मुस्लिम मतदाता नए विकल्प की तलाश में हैं। जानें इस राजनीतिक बदलाव के पीछे की रणनीतियाँ और संभावनाएँ।
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बिहार में ओवैसी की पार्टी ने राजद को पीछे छोड़ा, मुस्लिम विधायकों की संख्या में कमी

ओवैसी की पार्टी का नया मुकाम

कम से कम एक मामले में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राजद को पीछे छोड़ दिया है। बिहार में ओवैसी की पार्टी ने पांच मुस्लिम विधायकों को जीत दिलाई, जबकि राजद के पास केवल तीन विधायक हैं। यदि हम महागठबंधन की बात करें, तो उसके पास भी पांच मुस्लिम विधायक हैं, जो ओवैसी के बराबर हैं। यह पहली बार है जब आजादी के बाद बिहार में इतने कम मुस्लिम विधायक विधानसभा में पहुंचे हैं। वर्तमान में, बिहार विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या 11 रह गई है, जिसमें से पांच महागठबंधन के, पांच ओवैसी के और एक नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू का है। महागठबंधन में राजद के तीन और कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक शामिल हैं। दोनों दलों ने 28 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था।


ओवैसी की रणनीति और संभावनाएं

वहीं, ओवैसी के पास कुल 28 उम्मीदवार थे, जिनमें कुछ हिंदू उम्मीदवार भी शामिल थे। इसका मतलब है कि कम सीटों पर चुनाव लड़कर ओवैसी ने अधिक मुस्लिम विधायकों को जीत दिलाई है। इस परिणाम के बाद, ओवैसी की पार्टी बिहार में हैदराबाद की तरह राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ाने की योजना बना रही है। जानकारी के अनुसार, एमआईएम का ध्यान सीमांचल की 24 सीटों पर अपने आधार को बढ़ाने पर है। ओवैसी को विश्वास है कि वहां मुस्लिम मतदाता अब कांग्रेस और राजद को छोड़कर एक नया विकल्प तलाश रहे हैं। प्रशांत किशोर ने इस क्षेत्र में अपनी जगह बनाने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। इसलिए ओवैसी को वहां अपने लिए बेहतर संभावनाएं नजर आ रही हैं।