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बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच बढ़ती दूरी: क्या है भविष्य?

बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच संबंधों में खटास आ रही है। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि उनका गठबंधन केवल चुनावी रणनीति के लिए था। पिछले 20 वर्षों में एक साथ चुनाव लड़ने के बाद, इस बार दोनों दलों को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। क्या यह स्थिति गठबंधन को कमजोर करेगी? जानें इस लेख में।
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बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच बढ़ती दूरी: क्या है भविष्य?

कांग्रेस और राजद के रास्ते अलग

बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच संबंधों में खटास आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि उनका गठबंधन केवल चुनावी रणनीति के लिए था, और अब दोनों दल अपनी-अपनी राजनीतिक दिशा में आगे बढ़ेंगे। यह सकारात्मक है कि हर पार्टी को अपने आधार को मजबूत करने की आवश्यकता है, लेकिन इससे पहले उन्हें गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। पिछले 20 वर्षों में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद, इस बार दोनों पार्टियों को बुरी हार का सामना करना पड़ा है।


जब ये दोनों दल एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं, तो उनका वोट बैंक बड़ा होता है और जीतने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। उदाहरण के लिए, 2020 और 2015 में इनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था।


हालांकि, 2010 में जब ये अलग-अलग लड़े थे, तब राजद को 22 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को केवल चार सीटें। कांग्रेस को उस समय 9.5 प्रतिशत वोट मिले थे। यदि ये दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो हार निश्चित है। लेकिन जब ये एक साथ होते हैं और वामपंथी दल भी साथ होते हैं, तो फिर भी खराब परिणाम क्यों आते हैं, इस पर विचार होना चाहिए।


हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि नेताओं के व्यक्तिगत अहंकार ने इस तरह के विचार-विमर्श की संभावनाओं को समाप्त कर दिया है। सभी एक-दूसरे को देख लेने की बात कर रहे हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने तो कांग्रेस की स्थिति को लेकर टिप्पणी की है। इस तरह की सोच गठबंधन को और कमजोर करेगी, जिसका प्रभाव अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है।