बिहार में गोपाल खेमका की हत्या से सियासी हलचल, बेउर जेल में छापेमारी
पटना में भाजपा से जुड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार में सियासी हलचल मचा दी है। हत्या के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की। इस घटना के बाद बेउर जेल में छापेमारी की गई, जहां कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ। जानें इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और क्या कदम उठाए गए हैं।
Jul 5, 2025, 16:36 IST
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गोपाल खेमका की हत्या से बिहार में सियासी उबाल
पटना में भाजपा से जुड़े कारोबारी गोपाल खेमका की 4 जुलाई की रात हत्या ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। जब वे गांधी मैदान थाना के पास अपनी कार से बाहर निकल रहे थे, तब बाइक पर सवार हमलावरों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।गोपाल खेमका अपने बेटे गुंजन की हत्या के बाद से परिवार को संभावित खतरों के प्रति सतर्क थे। उनके परिवार ने पुलिस की कार्रवाई में देरी की भी शिकायत की, यह बताते हुए कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंचने में दो से तीन घंटे का समय ले गई। हत्या की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपराधियों को बख्शने का कोई इरादा न रखने की बात कही और कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए सवाल उठाया कि “इतनी छोटी दूरी पर हत्या कैसे हो सकती है?” कांग्रेस ने भी पुलिस की सुस्ती पर सवाल उठाते हुए इस्तीफे की मांग की।
बेउर जेल में छापेमारी
हत्या की जांच के सिलसिले में पटना के बेउर केंद्रीय कारागार में अचानक छापेमारी की गई। घटना के बाद, गुरुवार की आधी रात को सदर SDM और सिटी SP (वेस्ट) के नेतृत्व में भारी पुलिस बल ने दो से तीन घंटे तक तलाशी ली। जेल अधीक्षक पर कैदियों को प्रताड़ित करने और मोबाइल फोन जैसी अनियमितताओं में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा, “दोषियों को उनके घर में घुसकर सजा देंगे” — यह बयान सरकार की स्थिति को मजबूत करने का संकेत था। राजद और कांग्रेस ने मिलकर आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ चुकी है और अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। व्यापारिक वर्ग भी नाराज है, और कंपनियों के मालिकों ने पुलिस के रवैये को चिंताजनक बताया।