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बिहार में चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अधिकारियों का मानदेय बढ़ाया

भारतीय निर्वाचन आयोग ने बिहार में बूथ लेवल अधिकारियों के मानदेय में वृद्धि की है। अब ये अधिकारी 12,000 रुपये तक का पारिश्रमिक प्राप्त करेंगे। इसके अलावा, अन्य अधिकारियों के मानदेय में भी वृद्धि की गई है। यह निर्णय मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान लिया गया है, जिसमें फर्जी मतदाताओं की पहचान की जा रही है। जानें इस फैसले के पीछे के कारण और इसके महत्व के बारे में।
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बिहार में चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अधिकारियों का मानदेय बढ़ाया

बूथ लेवल अधिकारियों के पारिश्रमिक में वृद्धि

नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान, भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को बूथ लेवल अधिकारियों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आयोग ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें इस फैसले की जानकारी दी गई है।


अधिसूचना के अनुसार, बूथ लेवल अधिकारियों को पहले 6,000 रुपये मिलते थे, जिसे अब बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, मतदाता सूची के पुनरीक्षण में शामिल अधिकारियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया है। बूथ लेवल पर्यवेक्षकों का मानदेय पहले 12,000 रुपये था, जिसे अब 18,000 रुपये कर दिया गया है। असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर का पारिश्रमिक अब 25,000 रुपये है, जबकि इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को 30,000 रुपये दिए जाएंगे।


निर्वाचन आयोग ने इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया है। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव होती है, जिसे हमारे अधिकारी मिलकर तैयार करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने उनके मानदेय को बढ़ाने का निर्णय लिया है।


आयोग ने अपनी अधिसूचना में बताया कि इससे पहले अधिकारियों के मानदेय में संशोधन 2015 में किया गया था। इसके अलावा, यह पहली बार है जब असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को मानदेय देने का निर्णय लिया गया है।


गौरतलब है कि बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण जारी है, जिसमें फर्जी मतदाताओं की पहचान की जा रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश और नेपाल के कई नागरिक फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं और इसका लाभ उठा रहे हैं। इसलिए, ऐसे लोगों की पहचान के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण आवश्यक है।