बिहार में बाहुबली नेताओं की सियासी हलचल: चुनावी मैदान में नए समीकरण

बिहार में सियासी गतिविधियों का उभार
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक जंग के बीच बाहुबली नेताओं की सक्रियता ने माहौल को और गरम कर दिया है। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने एनडीए के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए यह घोषणा की है कि वे हर उस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, जो एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेगा। उनका यह बयान बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है।
बाहुबली नेताओं की भूमिका
बिहार में बाहुबली नेताओं का प्रभाव हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। चुनावी मौसम में ये नेता फिर से सुर्खियों में हैं। कुछ बाहुबली खुद राजनीति में सक्रिय हैं, जबकि कुछ ने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में उतारकर अपनी विरासत को आगे बढ़ाया है। आइए जानते हैं कि इस बार के चुनाव में कौन-कौन से बाहुबली नेता किस दल के साथ खड़े हैं।
अनंत सिंह: मोकामा का 'छोटा सरकार'
मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह बिहार की राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं। समर्थक उन्हें 'मोकामा का महाराज' कहते हैं। उनकी राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव तक उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करते रहे हैं। एके-47 मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद उनकी पत्नी नीलम सिंह ने राजद के टिकट पर उपचुनाव जीता। हालांकि, फ्लोर टेस्ट के दौरान नीलम ने राजद में रहते हुए एनडीए सरकार का समर्थन किया।
आनंद मोहन: कोसी का सियासी सूरमा
कोसी क्षेत्र के दिग्गज नेता आनंद मोहन का नाम बिहार की राजनीति में खासा प्रभाव रखता है। जेपी आंदोलन में भाग लेने वाले आनंद मोहन ने इमरजेंसी के दौरान जेल की सजा भी काटी। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या के मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में नीतीश कुमार ने नियम बदलकर कम करवाया। उनकी पत्नी लवली आनंद वर्तमान में जेडीयू से सांसद हैं, जबकि उनके बेटे चेतन आनंद 2020 में राजद के टिकट पर विधायक बने, लेकिन अब नीतीश के साथ दिखते हैं।
पप्पू यादव: पूर्णिया के बाहुबली सांसद
पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा निर्दलीय विधायक के रूप में शुरू की थी। उनकी पार्टी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय हो चुका है, लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट राजद को मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वे खुद को कांग्रेसी मानते हैं और गांधी परिवार से उनकी नजदीकी जगजाहिर है। उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं।
सूरजभान सिंह: एनडीए के खिलाफ बगावत
पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने मोकामा में अनंत सिंह के भाई को हराकर राजनीति में कदम रखा था। उनकी पत्नी वीणा देवी लोजपा (रामविलास) से वैशाली की सांसद हैं। सूरजभान का एनडीए के खिलाफ बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अनंत सिंह मुंगेर से अपनी पत्नी को उतार सकते हैं, जिसके जवाब में सूरजभान सक्रिय हुए हैं।
मोहम्मद शहाबुद्दीन: राजद के साथ परिवार
सीवान के दिवंगत बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब राजद के साथ हैं। हिना ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। 2024 में निर्दलीय चुनाव हारने के बाद वे बेटे ओसामा के साथ राजद में लौट आई हैं।